Supreme Court ने खारिज की डिफॉल्टर्स की व्यक्तिगत गारंटी लागू करने के लिए सरकारी बैंकों को निर्देश देने की मांग याचिका
इससे पहले सूत्रों के हवाले से खबर आ रही थी कि वित्त मंत्रालय के निर्देशों के बाद सरकारी स्वामित्व वाले बैंक कॉरपोरेट लोन्स के लिए करीब 300 प्रवर्तकों द्वारा दी गई व्यक्तिगत गारंटी को लागू करने के लिए तैयार हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को डिफॉल्टर्स की व्यक्तिगत गारंटी को लागू करने के निर्देश देने की मांग के साथ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले सूत्रों के हवाले से खबर आ रही थी कि वित्त मंत्रालय के निर्देशों के बाद सरकारी स्वामित्व वाले बैंक कॉरपोरेट लोन्स के लिए करीब 300 प्रवर्तकों द्वारा दी गई व्यक्तिगत गारंटी को लागू करने के लिए तैयार हैं। सूत्र के अनुसार, बैंकों द्वारा तैयार की जा रही पहली ऐसी सूची में शामिल होने वाले प्रवर्तकों को नोटिस अक्टूबर के पहले सप्ताह में भेजे जाने की संभावना है।
Supreme Court dismisses a petition seeking direction for the public sector banks to invoke personal guarantees of the defaulters.
— ANI (@ANI) September 22, 2020
यह कदम 26 अगस्त को वित्त मंत्रालय और सरकारी बैंकों के बीच हुए संवाद का अनुसरण करता है, जिसमें वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों से ऐसे मामलों की लिस्ट तैयार करने के लिए कहा था, जहां संशोधित दिवाला समाधान प्रक्रिया नियम 2019 के आधार पर प्रवर्तकों की व्यक्तिगत कारंटी को लागू किया जा सकता है। इस संशोधित नियम ने कर्जदाताओं को एनसीएलटी से पहले कॉरपोरेट लोन्स के व्यक्तिगत गारंटर्स के खिलाफ दिवालियापन के आवेदन को फाइल करने में समर्थ बनाया है।
एक व्यक्तिगत गारंटी गारंटर को एक व्यवसाय ऋण का भुगतान करने के लिए बाध्य करती है, अगर कॉर्पोरेट उधारकर्ता डिफॉल्ट हो जाता है। ऐसे मामलों में, प्रवर्तक आमतौर पर व्यक्तिगत संपत्तियों को संपार्श्विक के रूप में प्रदान करते हैं। उद्योग के अनुमानों के अनुसार, प्रमोटरों ने 1.85 लाख करोड़ रुपये के बकाया के लिए राज्य द्वारा संचालित बैंकों को व्यक्तिगत गारंटी प्रदान की हुई है।