अगर तीसरी कंपनी पैसे नहीं डालती है तो देश में रह जाएंगी दो ही टेलीकॉम कंपनियांः सुनील मित्तल
मित्तल ने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब भी उद्योग की चिंताओं को दूर करने के लिए समझौता किया गया था और उस समय अरुण शौरी दूरसंचार मंत्री थे। (PC Reuters)
नई दिल्ली, पीटीआइ। टेलीकॉम क्षेत्र की प्रमुख कंपनी भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने सोमवार को कहा कि सरकार को इंडस्ट्री के साथ विवादों में अधिक नहीं उलझना चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का AGR पर फैसला सरकारी याचिका पर ही आया है। बकौल मित्तल इस फैसले की वजह से दूरसंचार उद्योग से काफी बड़े पैमाने पर पैसा निकल गया है। उन्होंने कहा कि इस राशि का इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार नेटवर्क खड़ा करने और 5जी प्रौद्योगिकी की शुरुआत करने में खर्च किया जा सकता था। मित्तल ने एक पुस्तक विमोचन समारोह में यह बात कही। भारती एंटरप्राइजिज के वाइस चेयरमैन अखिल गुप्ता की पुस्तक 'Some Sizes Fit All'के विमोचन के मौके पर उन्होंने यह बात कही।
मित्तल ने अपने संबोधन में वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) का नाम लिए बगैर मौजूदा परिस्थितियों में कंपनी के बने रहने को लेकर शंका जाहिर की। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को उद्योगों के साथ ज्यादा विवाद में नहीं उलझना चाहिए। मेरा यह मानना है कि जब किसी खास मामले में किसी एक स्तर पर वह हार जाते हैं तो जरूरी नहीं है कि उस मामले को उसके अंतिम बिंदु तक पहुंचाना ही है। ऐसा होने पर ये विवाद हमेशा के लिये चलते रहते हैं।’’
उल्लेखनीय है कि AGR का मामला सरकार दूरसंचार क्षेत्र के न्यायाधिकरण टीडीसैट के स्तर पर हार गई थी। हालांकि, इसके बाद सरकार ने टीडीसैट के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी और वहां उसकी जीत हुई।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दूरसंचार कंपनियों पर 1.47 लाख करोड़ रुपये की देनदारी बन गई। मित्तल ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि सरकार को कुछ विवादों से निपटते समय कुछ ज्यादा साहस दिखाना चाहिए। यदि आप ... ‘विवाद से विश्वास’ योजना को देखेंगे तो यह उस दिशा में उठाया गया काफी बढ़िया कदम है। इसी तरह की चीज दूरसंचार, बिजली, सड़क क्षेत्र में होनी चाहिए। हमारे समक्ष कई तरह के मुद्दे हैं।’’
मित्तल ने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब भी उद्योग की चिंताओं को दूर करने के लिए समझौता किया गया था और उस समय अरुण शौरी दूरसंचार मंत्री थे।