सरकार को माननी पड़ीं पवार की शर्ते
नई दिल्ली [जाब्यू]। चीनी उद्योग को एक और राहत पैकेज देने के मुद्दे पर सरकार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार के दबाव में उनकी शर्तो को मानना पड़ा। पवार के खिलाफ आवाज उठाने वाले खाद्य मंत्री थॉमस भी शुक्रवार को मंत्रिसमूह की बैठक में नतमस्तक हो गए। खाद्य मंत्रालय के कैबिनेट प्रस्ताव के उलट पवार के 3,500 रुपये प्रति टन के निर्यात सब्सिडी के प्रस्त
नई दिल्ली [जाब्यू]। चीनी उद्योग को एक और राहत पैकेज देने के मुद्दे पर सरकार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार के दबाव में उनकी शर्तो को मानना पड़ा। पवार के खिलाफ आवाज उठाने वाले खाद्य मंत्री थॉमस भी शुक्रवार को मंत्रिसमूह की बैठक में नतमस्तक हो गए। खाद्य मंत्रालय के कैबिनेट प्रस्ताव के उलट पवार के 3,500 रुपये प्रति टन के निर्यात सब्सिडी के प्रस्ताव को मान लिया गया। इससे खजाने पर 1,400 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति [सीसीइए] की लगातार दो बैठकों में भी यह विवाद नहीं सुलझ पाया था। मनमोहन के निर्देश पर अनौपचारिक मंत्रिसमूह की शुक्रवार को फिर बैठक हुई। इसमें पवार और थॉमस के अलावा वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी शामिल हुए। बैठक में पवार की बातों पर ही मुहर लगी। यानी निर्यात सब्सिडी साढ़े तीन हजार रुपये प्रति टन होगी। पवार के इस प्रस्ताव के खिलाफ थॉमस अड़ गए थे और कैबिनेट नोट में उनके मंत्रालय ने इसे घटाकर 2,000 रुपये प्रति टन कर दिया था।
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कृषि मंत्री पवार को यह काफी नागवार गुजरा था। लेकिन उनके दबाव के आगे थॉमस झुके और सहमति बन गई। चुनावी मौसम में संप्रग के प्रमुख घटक दल एनसीपी प्रमुख शरद पवार को नाराज करना संभव नहीं था। पवार के प्रस्ताव को मान लेने से सरकार पर कुल 1,400 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। खाद्य मंत्री चीनी विकास निधि [एसडीएफ] की सीमाओं का हवाला देते हुए 800 करोड़ रुपये से अधिक देने को तैयार नहीं थे। सूत्रों का कहना है कि अनौपचारिक जीओएम में वित्त मंत्री चिदंबरम ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि धन की कमी पड़ने पर इसके लिए बजटीय मदद दी जा सकती है।