स्टील उद्योग में होगा दस लाख करोड़ रुपये का निवेश
केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी विरेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार ने 2030 तक देश में स्टील उत्पादन की क्षमता बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने का लक्ष्य रखा है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। देश में स्टील की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए करीब 10 लाख करोड़ रुपये निवेश की जरूरत होगी। केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी विरेंद्र सिंह ने कहा है कि वर्ष 2030 तक देश में 30 करोड़ टन स्टील उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
ओडिशा में जेएसपीएल के 60 लाख टन वार्षिक उत्पादन क्षमता वाले स्टील प्लांट के उद्घाटन समारोह में इस्पात मंत्री ने यह जानकारी दी। इसमें स्टील उत्पादन की चार इकाइयां शुरू की गई है। प्लांट में 10,000 करोड़ रुपये की कोल गैसीफिकेशन यूनिट और ब्लास्ट फर्नेश भी शामिल हैं। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने इनमें से एक इकाई का उद्घाटन किया।
सिंह ने बताया कि सरकार ने 2030 तक देश में स्टील उत्पादन की क्षमता बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 10 लाख करोड़ रुपये निवेश की आवश्यकता होगी। उन्होंने ओडिशा को उभरते स्टील हब की संज्ञा देते हुए कहा कि अगले 12 वर्षो में देश के कुल स्टील उत्पादन में ओडिशा की हिस्सेदारी करीब एक तिहाई होगी। इस लिहाज से ओडिशा में चार लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा और इससे यहां उत्पादन क्षमता बढ़कर 10 करोड़ टन हो जाएगी।
जेएसपीएल के कोल गैसीफिकेशन की चर्चा करते हुए इस्पात मंत्री ने कहा कि इससे कोकिंग कोल के आयात पर देश की निर्भरता कम होगी। देश में 80 फीसद कोकिंग कोल आयात करना होता है। कोल गैसीफिकेशन यूनिट से इसका आयात कम करने में मदद मिलेगी। कोल गैसीफिकेशन से नई तकनीक के जरिये स्टील बनाने में घरेलू कोयले (थर्मल कोल) का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा।
सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा कि हमारे प्रयासों से ही स्टील उद्योग संकट के दौर से बाहर निकला। न्यूनतम आयात शुल्क और एंटी डंपिंग ड्यूटी के कदमों से उद्योग की विकास रफ्तार सुधरी। पिछले चार साल में स्टील का निर्यात 132 फीसद बढ़ा जबकि आयात में 40 फीसद की कमी आई। अगले साल तक दुनिया के 28 फीसद वाहन भारतीय स्टील से बनने लगेंगे। जापान और दूसरे देशों को पछाड़कर भारत दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश बन गया। पिछले साल में स्टील उद्योग से पांच लाख रोजगार पैदा हुए।
भावी योजनाओं पर इस्पात मंत्री ने कहा कि अभी देश स्टील मशीनरी के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है। सरकार देश में इन मशीनरी के निर्यात के लिए ग्लोबल कंपनियों को न्यौता देगी। इसमें करीब चार लाख करोड़ रुपये निवेश होने की संभावना है। इस मौके पर धर्मेद्र प्रधान ने कहा कि नई तकनीक के इस्तेमाल से नई तरह की ऊर्जा (कोल गैसीफिकेशन यूनिट) बनाई जा सकेगी। इससे न सिर्फ लागत में कमी आएगी बल्कि रोजगार भी पैदा होंगे।