Fuel Companies: ईंधन मूल्य स्थिर होने से सरकारी तेल कंपनियों के प्रॉफिट पर होगा असर, पढें फिच की ये रिपोर्ट
सार्वजनिक क्षेत्र के खुदरा ईंधन विक्रेताओं ने चार महीने से अधिक समय से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेटिंग एजेंसी फिच ने बुधवार को कहा कि इससे चालू वित्त वर्ष में पब्लिक सेक्टर की पेट्रोलियम कंपनियों का प्रॉफिट प्रभावित होगा।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद पेट्रोल, डीजल और एलपीजी मूल्य में संशोधन पर रोक का असर पेट्रोलियम कंपनियों पर दिखने लगा है। रेटिंग एजेंसी फिच ने बुधवार को कहा कि इस वजह से चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों- इंडियन आयल कारपोरेशन (आइओसी), भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) का मुनाफा प्रभावित होगा।
सार्वजनिक क्षेत्र के खुदरा ईंधन विक्रेताओं ने चार महीने से अधिक समय से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। महंगाई को काबू में करने के लिए सरकार की कोशिशों में मदद के लिए ऐसा किया गया।फिच ने कहा कि पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों को बढ़ाने पर लगी रोक के कारण भारतीय पेट्रोलियम विपणन कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ सकता है। हालांकि, फिच ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 से स्थितियों में सुधार होने लगेगा।
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद बिगड़ी स्थिति
आपको बता दें कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद आपूर्ति संबंधी चिंताओं के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें कई वर्षों के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। सरकार ने मई में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी, ताकि उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ कम हो सके।
पिछले महीने आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा था कि आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल ने पेट्रोल और डीजल को 12-14 रुपये प्रति लीटर के नुकसान पर बेचा था, जिससे तिमाही के दौरान रिफाइनिंग सेक्टर का प्रदर्शन बुरी तरह से प्रभावित हुआ था।
तेल कीमतों में तेजी के बावजूद चार महीने से कोई बदलाव नहीं
बता दें कि आईओसी, एचपीसीएल और बीपीसीएल को लागत के अनुरूप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में प्रतिदिन बदलाव करना पड़ता है, लेकिन उन्होंने अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में तेजी के बावजूद चार महीने से अपनी दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।