कर चोरी के मामलों को लेकर आमने-सामने आए केंद्र व राज्यों के जीएसटी अधिकारी
जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों के खिलाफ खुफिया सूचना के आधार पर कार्रवाई को लेकर केंद्र और राज्यों के जीएसटी अधिकारी आमने-सामने आ गए हैं।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों के खिलाफ खुफिया सूचना के आधार पर कार्रवाई को लेकर केंद्र और राज्यों के जीएसटी अधिकारी आमने-सामने आ गए हैं। हाल यह है कि मामला केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआइसी) के सामने पहुंच गया। इसके बाद सीबीआइसी ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे टैक्स चोरी रोकने के लिए अधिकार क्षेत्र भूलकर खुफिया सूचना के आधार पर कार्रवाई करें।
सूत्रों ने कहा कि सीबीआइसी के सदस्य (जीएसटी) महेन्दर सिंह ने आला टैक्स अधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट की है। सिंह को यह पत्र लिखने की जरूरत उस समय पड़ी जब बोर्ड को यह पता चला कि राज्यों को आवंटित असेसी के खिलाफ केंद्रीय कर अधिकारियों द्वारा कार्रवाई करने और केंद्र के अधीन आने वाले असेसी के खिलाफ राज्यों के जीएसटी अधिकारियों द्वारा कार्रवाई करने के संबंध में अस्पष्टता है। इसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया है। सिंह ने अपने पत्र में कहा है कि केंद्र और राज्य दोनों के टैक्स अधिकारी खुफिया सूचना के आधार पर किसी भी असेसी के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकते हैं, वह असेसी चाहे केंद्र के अधीन हो या राज्य के अधीन। केंद्र या राज्य के जो भी टैक्स अधिकारी किसी मामले की जांच शुरू करेंगे, उन्हें उस मामले को पूरा करने, कारण बताओ नोटिस जारी करने, रिकवरी करने तथा अपील दाखिल करने का अधिकार होगा।
जीएसटी काउंसिल ने 16 जनवरी 2017 को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी के तहत पंजीकृत असेसी का वितरण केंद्र और राज्यों के बीच करने के फॉमरूले को मंजूरी दी थी। यह भी कहा गया था कि अगर केंद्र व राज्य कर अधिकारियों को खुफिया सूचना मिलने पर किसी बिजनेस के पूरे वैल्यू चेन में कहीं भी कर चोरी का मामला मिलता है तो दोनों को कार्रवाई करने का अधिकार होगा। सूत्रों ने कहा कि इसका मतलब यह है कि अगर केंद्र का कोई जीएसटी अधिकारी खुफिया सूचना मिलने पर किसी ऐसे असेसी के खिलाफ कार्रवाई करता है, जिस पर राज्यों का प्रशासनिक नियंत्रण है तो केंद्रीय अधिकारी को यह मामला राज्य सरकार को हस्तांतरित करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। वह खुद ही उस मामले को निष्कर्ष तक पहुंचा देंगे। यही व्यवस्था उन मामलों में लागू होगी, जहां असेसी केंद्र सरकार के अधीन है लेकिन उसके खिलाफ कार्रवाई किसी राज्य स्तरीय अधिकारी ने की है।
मैगी के डीलर पर 90,778 रुपये जुर्माना
जीएसटी में मुनाफाखोरी रोकने वाली संस्था एनएए ने उत्तर प्रदेश के एक मैगी डीलर पर 90,778 रुपये का जुर्माना लगाया है। डीलर पर एक ग्राहक ने आरोप लगाया था कि उसने पिछले वर्ष नवंबर में जीएसटी घटने के बाद भी उपभोक्ताओं तक उसका फायदा नहीं पहुंचाया। जांच के बाद शिकायत सही पाते हुए एनएए ने डीलर को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ता को 2,253 रुपये हर्जाना दे। वहीं, शेष 88,525 रुपये ग्राहक कल्याण कोष में जमा कराने का आदेश दिया गया है।