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AIBOC ने RBI से कहा- धनलक्ष्मी बैंक के कुछ घटनाक्रम तत्काल सुधारात्मक कदम

धनलाक्ष्मी बैंक को नवंबर 2015 में पीसीए फ्रेमवर्क के तहत खराब वित्तीय हालत के कारण रखा गया था और पिछले साल ही बैंक पर प्रतिबंधों में ढील दी गई थी। कुछ मुद्दों की ओर इशारा करते हुए यह कहा गया कि धनलक्ष्मी बैंक को 2008-09 की तीसरी तिमाही से

By NiteshEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 06:04 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 06:04 PM (IST)
AIBOC ने RBI से कहा- धनलक्ष्मी बैंक के कुछ घटनाक्रम तत्काल सुधारात्मक कदम
Some developments in Dhanlaxmi Bank warrant immediate corrective steps

नई दिल्ली, पीटीआइ। बैंक अधिकारियों की यूनियन AIBOC ने मंगलवार को धनलक्ष्मी बैंक के कुछ घटनाक्रमों को आरबीआई की ओर से तत्काल सुधारात्मक उपाय बताया और नियामक से बैंक को बचाने के लिए उचित कदम उठाने का अनुरोध किया। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को लिखे गए पत्र में ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (AIBOC) ने कहा कि यह बैंकिंग उद्योग का एक जाना माना तथ्य है कि गलत प्राथमिकताओं और पर्यवेक्षी शिथिलता ने एक दशक पहले धनलक्ष्मी बैंक पर कहर टूट पड़ा था।

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यह पत्र तब आया जब शेयरधारकों ने कर्ज में डूबे लक्ष्मी विलास बैंक के सात निदेशकों को बाहर कर दिया था। सितंबर 2019 में बैंक को RBI द्वारा प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) फ्रेमवर्क के तहत रखा गया था। इसमें कहा गया था कि धनलक्ष्मी बैंक 92 वर्ष पुराना है और यह विशेष रूप से देश के दक्षिणी भाग में आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

AIBOC ने कहा, 'उपरोक्त पृष्ठभूमि में हम निम्नलिखित कुछ क्षेत्रों पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं, जिन्हें बैंक के सर्वोत्तम हित, लाखों ग्राहकों, कर्मचारियों और अन्य सभी हितधारकों में मुद्दों के निवारण के लिए आपके तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

धनलाक्ष्मी बैंक को नवंबर 2015 में पीसीए फ्रेमवर्क के तहत खराब वित्तीय हालत के कारण रखा गया था और पिछले साल ही बैंक पर प्रतिबंधों में ढील दी गई थी। कुछ मुद्दों की ओर इशारा करते हुए, यह कहा गया कि धनलक्ष्मी बैंक को 2008-09 की तीसरी तिमाही से 2010-11 की चौथी तिमाही तक एक नई पीढ़ी के प्रयोग से गुजरने के लिए मजबूर किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप परिचालन लागत में वृद्धि हुई और अंधाधुंध कर्ज दिया गया।


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