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IT rules change : छोटे करदाताओं को अब परेशान नहीं करेगा आयकर, जानिए क्‍या हुआ नियम में बदलाव

2012-13 से लेकर 2014-15 तक के कारोबारी साल के लिए एसेसमेंट नोटिस न जारी करें। शीर्ष अदालत के फैसले को लागू करने का निर्देश जारी करते हुए विभाग ने कहा कि टैक्‍स अधिकारी कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे।

By Ashish DeepEdited By: Published: Thu, 12 May 2022 02:58 PM (IST)Updated: Thu, 12 May 2022 02:58 PM (IST)
IT rules change : छोटे करदाताओं को अब परेशान नहीं करेगा आयकर, जानिए क्‍या हुआ नियम में बदलाव
30 दिनों के भीतर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने के लिए करदाताओं को सूचना प्रदान करेंगे।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। आयकर विभाग (Income tax Office) के अधिकारी अब छोटे करदाताओं को शो कॉज नोटिस नहीं जारी करेंगे। क्‍योंकि विभाग ने फील्‍ड ऑफिसेज से कहा है कि वह 2012-13 से लेकर 2014-15 तक के कारोबारी साल के लिए एसेसमेंट नोटिस न जारी करें। तीन साल की एसेसमेंट अवधि के बाद भेजे गए नोटिसों के संबंध में शीर्ष अदालत के फैसले को लागू करने का निर्देश जारी करते हुए विभाग ने कहा कि वित्त वर्ष 2016 और वित्त वर्ष 2017 के लिए जहां इस तरह के नोटिस जारी करने की समय सीमा 3 साल के भीतर आती है, टैक्‍स अधिकारी कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे और 30 दिनों के भीतर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने के लिए करदाताओं को सूचना प्रदान करेंगे।

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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने टैक्‍स अधिकारियों से ऐसे नोटिसों का जवाब देने के लिए करदाताओं को दो सप्ताह का समय देने को कहा है, जिसे वास्तविक मामलों में करदाता के अनुरोध पर आगे बढ़ाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में IT विभाग के पक्ष में फैसला सुनाया था और 1 अप्रैल, 2021 को या उसके बाद जारी किए गए सभी पुनर्मूल्यांकन नोटिसों को बरकरार रखा था।

सरकार ने पिछले साल (2021-22) के बजट में IT आकलन के लिए फिर से खोलने का समय 6 साल से घटाकर 3 साल कर दिया था। हालांकि, टैक्स डिपार्टमेंट ने असेसमेंट को फिर से खोलने के लिए कई नोटिस भेजे, जो 3 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। इन नोटिसों को तब कई हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी और तब आयकर विभाग ने इस तरह के नोटिस को बरकरार रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। नांगिया एंड कंपनी एलएलपी पार्टनर शैलेश कुमार ने कहा कि टैक्‍स अधिकारियों और करदाताओं दोनों को पारदर्शिता प्रदान करने के लिए और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की व्याख्या और पूरे भारत में सभी 90,000 मामलों में समान रूप से लागू करने के लिए सीबीडीटी ने यह आवश्यक निर्देश जारी किया है।


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