छोटे किसानों को बजट 2018 में मिल सकती है बड़ी राहत
राष्ट्रीय स्तर पर छोटे व सीमांत किसानों की संख्या 86 फीसद से अधिक है
नई दिल्ली (सुरेंद्र प्रसाद सिंह)। आगामी आम बजट में सरकार छोटे व सीमांत किसानों को साधने की कोशिश करेगी। इसके लिए गांवों की 22 हजार से अधिक हाट व छोटी खुदरा मंडियों को विकसित करने का प्रस्ताव है। इससे छोटे किसानों को अपनी उपज बेचने की सुविधा गांव में ही उपलब्ध हो जाएगी। देश में फिलहाल साढ़े सात हजार थोक मंडियां ही नियमित रूप से संचालित हो रही हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर छोटे व सीमांत किसानों की संख्या 86 फीसद से अधिक है, जिनके लिए थोक मंडियों तक पहुंचना आसान नहीं होता है। मंडियों के दूरी होने की वजह से उन्हें अपनी उपज आसपास के बिचौलिये व्यापारियों के हाथों ही बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। छोटी जोत के किसानों को इस कठिनाई से निजात दिलाने के लिए आम बजट में विशेष प्रावधान किए जाने की संभावना है। कृषि मंत्रालय ने इस संबंध एक विस्तृत मसौदा तैयार कर वित्त मंत्रालय को भेज दिया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित 22000 खुदरा मंडियों व हाट को विकसित करने की योजना है। इनमें उत्पादक यानी किसान और उपभोक्ता के बीच सीधी खरीद बिक्री के लिए प्लेटफार्म तैयार करने की योजना है। इससे जहां उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर कृषि उत्पाद मुहैया होंगे, वहीं किसानों को उनकी उपज के अच्छे मूल्य मिलने लगेंगे। इसके लिए राज्य स्तर पर नियमों में कुछ संशोधन भी करने पड़ेंगे, जिसके लिए मॉडल एक्ट बना लिया गया है।
देश में दो एकड़ से कम जोत के किसानों की संख्या सबसे ज्यादा है, जो अपनी जरूरत के बाद बची उपज को बाजार में बेचते हैं। बेचने के लिए उनके पास बहुत कम उपज होती है। वह नियमित थोक मंडियों के बहुत दूर होने की वजह से उन्हें वहां तक उपज ले जाकर बेचना बहुत कठिन होता है। इससे परिवहन खर्च के चलते उनकी उपज की लागत भी बढ़ जाती है। इसके मद्देनजर सरकार किसान के नजदीक की मंडियों को विकसित करने का मन बनाया है।
थोक नियमित मंडियों के अलावा जिन 22 हजार मंडियों को विकसित किया जाना है, उन्हें चिन्हित कर लिया गया है। ऐसी जगहों को नियमित मंडी में तब्दील करने के लिए उनकी चहारदीवारी बनाने, सफाई, छंटाई और उपज की जांच के लिए प्रयोगशाला भी बनाई जाएगी। इसके अलावा वजन करने की तौल मशीन के साथ भंडारण की पूरी सुविधा दी जाएगी। इसमें गोदामों के साथ कोल्ड स्टोर भी बनाने की योजना है। ऐसी मंडियों में पक्के प्लेट फार्म और धूप, बारिश व अन्य प्राकृतिक कठिनाइयों से बचाने के उपाय किए जाएंगे।