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एफएमसीजी सेक्टर में छोटी कंपनियां मार रही हैं बाजी, 152 नई कंपनियों ने बाजार में किया प्रवेश

निल्सन की एक रिपोर्ट के अनुसार सैनिटाइजर का उत्पादन करने वाले शीर्ष तीन ब्रांड्स की बाजार में हिस्सेदारी 85 प्रतिशत से घटकर 39 प्रतिशत रह गई है।

By Manish MishraEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 12:34 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 12:34 PM (IST)
एफएमसीजी सेक्टर में छोटी कंपनियां मार रही हैं बाजी, 152 नई कंपनियों ने बाजार में किया प्रवेश
एफएमसीजी सेक्टर में छोटी कंपनियां मार रही हैं बाजी, 152 नई कंपनियों ने बाजार में किया प्रवेश

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। कोविड-19 के लॉकडाउन में जहां एक ओर आर्थिक व्यवस्था सुस्त हो रही है वहीं दूसरी ओर एफएमसीजी सेक्टर में नई कंपनियों की लॉटरी लग रही है। निल्सन की एक रिपोर्ट के अनुसार, सैनिटाइजर का उत्पादन करने वाले शीर्ष तीन ब्रांड्स की बाजार में हिस्सेदारी 85 प्रतिशत से घटकर 39 प्रतिशत रह गई है। इस दौरान 152 नई कंपनियों ने बाजार में प्रवेश किया है। विश्लेषकों का मानना है कि खाद्य उद्योग समेत एफएमसीजी सेक्टर में भी यही प्रचलन रहने की उम्‍मीद है। 

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अनिवार्य सेवाओं का हिस्सा होने के बावजूद कई बड़ी खाद्य कंपनियां अपने उत्पादन को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं। दूसरी ओर कई छोटी और कुशल कंपनियों ने जल्‍दी ही अपने कामकाज को दोबारा शुरू किया और वे देशभर में उपभोक्ताओं को अनिवार्य खाद्य उत्पादों की आपूर्ति कर रही हैं। 

चिंग्स सीक्रेट और स्मिथ एंड जोन्स की पैरेन्ट कंपनी कैपिटल फूड्स ने बड़ी तेजी से ऑपरेशन शुरू किया है। बाजार में फ्लेवर्ड इंस्टैन्ट नूडल्स, हक्का नूडल्स, शेजवान चटनी और चाइनीज मसालों की मांग पूरी कर रही है। 

कैपिटल फूड्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री नवीन तिवारी कहते हैं कि अभी हम केवल बिक्री पर केंद्रित नहीं हैं। हम देश के प्रति अपने दायित्व के बारे में सोच रहे हैं, जो अधिक से अधिक भारतीय उपभोक्ताओं के लिये अनिवार्य खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति का है। हमने स्थानीय प्रशासन के साथ काम किया और लॉकडाउन के 48 घंटों के भीतर परिचालन को दोबारा शुरू किया। हम उत्पादन बढ़ाने और वितरण को आसान बनाने के लिये प्रतिदिन प्रयास कर रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक वे कहते हैं कि अभी स्वास्थ्य और स्वच्छता संबंधित चिंता बढ़ी है। इसलिए उपभोक्ता नॉन-ब्रांडेड विकल्पों की बजाए ब्रांडेड उत्पादों को पसंद कर रहे हैं। 

मैकिंजी की एक रिपोर्ट ने हाल ही में बताया कि 65 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने नए या वैकल्पिक ब्रांड आजमाए और उनमें से करीब 10 प्रतिशत लोग उन ब्रांड्स को नहीं छोड़ना चाहते हैं। इससे उन कुशल कंपनियों को लाभ हुआ, जिन्होंने उपभोक्ताओं की सेवा को अपना कर्तव्‍य माना। 

निल्सन की रिपोर्ट के मुताबिक कंज्यूमर गुड्स सेक्टर में बड़ी कंपनियां मांग को पूरा नहीं कर पा रही हैं। इसलिए लोकल ब्रांड इस गैप को पूरा कर रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि लोकल कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी हैंड सैनिटाइजर में मार्च में 61 प्रतिशत रही है। जबकि जनवरी और फरवरी में यह 15 प्रतिशत रही है।

तिवारी ने कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान हमने देखा कि देश में कई नये ग्राहकों ने हमारे प्रोडक्‍ट्स आजमाए और हमें अपने सोशल मीडिया तथा कंज्यूमर कनेक्ट प्लेटफॉर्म्स पर ऐसे ग्राहकों का शानदार फीडबैक मिला। उन्हें हमारे प्रोडक्‍ट्स जैसे चिंग्स सीक्रेट फ्लेवर्ड नूडल्स और शेजवान चटनी का स्वाद भी खूब पसंद रहा है। यही नहीं, हमें पक्‍का भरोसा है कि हमारे उपभोक्ता हमारे अनोखे और आकर्षक फ्‍लेवर्स को पसंद करते रहेंगे।’


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