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रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी की मार, मकानों की कीमत में सुस्ती बरकरार

सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद रियल एस्टेट क्षेत्र की मंदी दूर होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

By Amit MishraEdited By: Published: Wed, 06 Jul 2016 08:26 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jul 2016 08:47 PM (IST)
रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी की मार, मकानों की कीमत में सुस्ती बरकरार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद रियल एस्टेट क्षेत्र की मंदी दूर होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। बड़े शहरों में मकानों की कीमत में सुस्ती बरकरार है। देश के दस बड़े शहरों पर आधारित रिजर्व बैंक की हाउसिंग प्राइस इंडेक्स में वित्त वर्ष 2015-16 में वृद्धि धीमी पड़ गयी है।

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रिजर्व बैंक के अनुसार ऑल इंडिया हाउसिंग प्राइस इंडेक्स वित्त वर्ष 2015-16 की चौथी तिमाही में बढ़कर 223.2 रहा, जबकि तीसरी तिमाही में यह 221.7 रहा था। इस तरह चौथी तिमाही में मकानों की कीमत में वृद्धि की रफ्तार तीसरी तिमाही की तुलना मंे सुस्त पड़कर 5.2 प्रतिशत रह गयी जबकि एक साल पहले समान अवधि में इसमें 17.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

रिजर्व बैंक हर तिमाही 10 प्रमुख शहरों- मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बैंगुलुरू, लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, कानपुर और कोच्चि में मकानों की कीमत में उतार चढ़ाव के आधार पर हाउसिंग प्राइसिंग इंडेक्स के आंकड़े जारी करता है।

आरबीआइ के अनुसार वार्षिक आधार पर मकानों की कीमत मंे सर्वाधिक वृद्धि 12.1 प्रतिशत चेन्नई में हुई है वहीं जयपुर में सबसे ज्यादा कमी आयी है। हालांकि तिमाही आधार पर पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में मकानों की वृद्धि बैंगुलुरु में 5.5 प्रतिशत हुई जबकि कोच्चि में 8 प्रतिशत की गिरावट आयी। सिर्फ चार शहरों- बैंगुलुरु, चेन्नई, लखनऊ और दिल्ली में मकानों की कीमत में वृद्धि दर्ज की गयी। आरबीआइ के अनुसार पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में सालाना आधार पर दिल्ली में हाउसिंग प्राइस इंडेक्स में मात्र 4.14 प्रतिशत वृद्धि हुई वहीं लखनऊ में इसमें 8.08 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी। वैसे इस अवधि में जयपुर, कानपुर, कोच्चि और कोलकाता में हाउसिंग प्राइस इंडेक्स में तेजी से गिरावट आयी है। सिर्फ अहमदाबाद और चेन्नई ही ऐसे दो शहर हैं जहां हाउसिंग प्राइस इंडेक्स में दहाई के अंक में वृद्धि हुई है।

आरबीआइ का यह इंडेक्स देश के प्रमुख शहरों में मकानों की कीमतों में उतार चढ़ाव का प्रमुख संकेतक है। इससे पता चलता है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद रियल एस्टेट में मंदी अब भी बरकरार है।


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