ईरान की महत्वाकांक्षी गैस परियोजना को झटका, फ्रांसीसी कंपनी के बाद अब चीन की कंपनी हुई बाहर
Irans gas project चीन की कंपनी CNPC ईरान की महत्वाकांक्षी गैस परियोजना से बाहर हो गई है। इससे पहले फ्रांस की पेट्रो कंपनी टोटल इस प्रोजेक्ट से बाहर हो गई थी।
तेहरान, एएफपी। चीन की सरकारी पेट्रोलियम कंपनी सीएनपीसी ईरान की एक बड़ी गैस परियोजना से बाहर हो गई है। सीएनपीसी ने यहां के अपतटीय प्राकृतिक गैस क्षेत्र के एक हिस्से को विकसित करने के पांच अरब डॉलर (करीब 35 हजार करोड़ रुपये) के सौदे से खुद को अलग कर लिया है। ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजन नामदार जांगेनेह ने रविवार को यह जानकारी दी। अब इस पूरी परियोजना की जिम्मेदारी ईरान की सरकारी पेट्रोलियम कंपनी पेट्रोपार्स संभालेगी।
2015 में दुनिया के बड़े देशों के साथ हुए समझौते के बाद ईरान के परमाणु कार्यक्रमों को सीमित रखने के बदले में प्रतिबंधों से छूट दी गई थी। इसके बाद जुलाई, 2017 में चीन की सीएनपीसी, फ्रांस की पेट्रो कंपनी टोटल और पेट्रोपार्स के बीच इस गैस क्षेत्र को लेकर समझौता हुआ था। पिछले साल मई में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से हुए परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग करते हुए ईरान पर फिर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके तीन महीने बाद ही टोटल ने खुद को ईरान की इस परियोजना से बाहर कर लिया था।
इसके बाद से ही परियोजना को लेकर हुए समझौते पर आशंका के बादल मंडराने लगे थे। अब सीएनपीसी ने भी खुद को इससे अलग कर दिया है। परियोजना से सीएनपीसी के अलग होने का कोई कारण नहीं बताया गया है, हालांकि, माना जा रहा है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ही चीनी कंपनी ने यह कदम उठाया है। चीन अभी अमेरिका से ट्रेड वार खत्म करने के लिए बातचीत कर रहा है। ऐसे में वह अमेरिका से कोई अन्य टकराव नहीं चाहता।
2015 में ईरान से हुए समझौते में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और रूस भी शामिल थे। इन देशों ने ईरान के साथ समझौते पर बने रहने की बात कही है। हालांकि समझौते से अमेरिका के हटने के बाद से इन देशों के संयुक्त प्रयास भी ईरान के लिए खास फायदेमंद साबित नहीं हो सके हैं।
तेल बेचने के लिए हरसंभव कोशिश करेगा ईरान
ईरान तेल बेचने के लिए हरसंभव तरीका अपनाएगा। पेट्रोलियम मंत्री बिजन नामदार जांगेनेह ने जोर देकर कहा कि अपने यहां उत्पादित होने वाले पेट्रोलियम का निर्यात करना ईरान का अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘हम तेल निर्यात करने के लिए हरसंभव उपाय करेंगे और अमेरिकी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे। तेल बेचना हमारा कानूनी अधिकार है।’ अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से ईरान का कच्चे तेल का निर्यात करीब 80 फीसद तक घट गया है। अमेरिकी प्रतिबंधों से सबसे ज्यादा ईरान का पेट्रोलियम सेक्टर ही प्रभावित हुआ है। इन प्रतिबंधों के कारण ईरान के कच्चे तेल के दूसरे सबसे बड़े ग्राहक भारत को भी अन्य विकल्पों की ओर रुख करना पड़ा है।