इनसे तय होगी शेयर बाजार की दशा और दिशा, निवेश से पहले पढ़िए एक्सपर्ट की राय
आने वाले समय में भारतीय शेयर की चाल कौन से ट्रिगर्स कर सकते हैं तय, जानिए एक्सपर्ट से
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अमेरिका और चीन के बीच गहराती ट्रेड वॉर की आशंका से वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारत समेत एशियाई बाजारों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। इससे व्यापारिक गतिविधियों में सुस्ती और महंगाई बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। साफ शब्दों में कहा जाए तो शेयर बाजार में कमजोर रुझान देखने को मिल रहा है।
वहीं डॉलर की निकासी भी बाजार के लिए चिंताए बढ़ा रही है। अगर डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर होता है तो निवेशकों की ओर से निकासी और बढ़ेगी। बीते 6 दिनों की बात करें तो एफआईआई ने (विदेशी संस्थागत निवेशक) ने भारी मात्रा में डॉलर की निकासी की है। भारतीय मुद्रा में यह रकम करीब 6800 करोड़ रुपये की है।
ऐसे में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव की आशंका मजबूत होती नजर आ रही है। एस्कॉर्ट रिसर्च के हेड आसिफ इकबाल के मुताबिक आने वाले वाले दिनों में बाजार के लिए कुछ ट्रिगर अहम साबित होंगे, जिन्हें समझना जरूरी है।
जियो पॉलिटिकल टेंशन: जियो पॉलिटिकल चिंताओं के कारण निवेशकों का भरोसा भारतीय बाजारों से डगमगा रहा है। ऐसे में निवेशकों को निवेश करने से पहले सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है। अमेरिका का ईरान पर प्रतिबंध, वेनेजुएला की मौजूदा स्थिति, चीन एवं अमेरिका के बीच जारी तनातनी प्रमुख कारण हो सकते हैं जो कि बाजार की चाल को काफी हद तक प्रभावित करेंगे।
ट्रेड वॉर: चीन और अमेरिका के बीच अगर ट्रेड वॉर की स्थित गंभीर रूप लेती है तो यह भारतीय बाजार के लिए नकारात्मक खबर है। साथ ही यह एशियाई और अमेरिकी बाजारों पर भी प्रत्यक्ष असर डाल सकती है। आसिफ ने बताया कि अगर इन दोनों में से किसी का भी रुख नरम नहीं हुआ तो दुनिया भर के बाजारों के लिए आपूर्ति का संकट खड़ा हो सकता है।
कमजोर होता रुपया: रुपया बीते कई दिनों से कमजोर चल रहा है। हाल ही में रुपये ने एक बार फिर से डॉलर के मुकाबले 68 का स्तर पार कर लिया था। मंगलवार को डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 68.28 के स्तर पर जा पहुंचा। रुपये की कमजोरी का असर अर्थव्यवस्था के साथ साथ देश के आम आदमी पर भी पड़ता है।
बेहतर मानसून की उम्मीद: मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक इस बार मानसून बेहतर रह सकता है। अगर ऐसा हुआ तो फर्टिलाइजर (उर्वरक) क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं। आसिफ ने बताया कि जो निवेशक इस दौरान मुनाफा कमाना चाहते हैं वो फर्टिलाइजर कंपनियों में ट्रेडिंग कर सकते हैं।
2019 आम चुनाव: भारतीय शेयर बाजार के लिए साल 2019 में होने वाला आम चुनाव भी काफी अहम है। बेशक 2019 के आम चुनाव (लोकसभा चुनाव) से पहले निवेशकों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लेकिन जो निवेशक इस अवधि के दौरान निवेश की रणनीति बना रहे हैं उन्हें 2019 तक चीजें और स्पष्ट होने का इंतजार करना चाहिए।
एक्सपर्ट का नजरिया: आसिफ ने बताया कि अगर रुपया, क्रूड और चालू खाता घाटा में से कुछ भी उलट दिशा में ट्रेड करता दिखता है तो बाजार में और गिरावट गहरा सकती है। ऐसे में निवेशकों का रुझान स्टॉक स्पेसिफिक होनी चाहिए।
आसिफ इकबाल के मुताबिक, यह समय निवेश का नहीं ट्रेडिंग का है। यह कहना गलत नहीं होगा कि निफ्टी एक से दो वर्षों में 1000 प्वाइंट तक नीचे आ सकता है। ऐसे में ट्रेडिंग के लिए उन कंपनियों का चुनाव बिल्कुल न करें जिन पर कर्ज का बोझ हो। निवेशक अच्छे कैश फ्लो, बेहतर ब्रैंड एवं मजबूत बैलेंस शीट वाली कंपनी जिस पर वर्तमान में कोई कर्जा न हो का चुनाव ट्रेडिंग के लिए कर सकते हैं। ट्रेडिंग के लिए सेक्टोरल अप्रोच नहीं, बल्कि कंपनी स्पेसिफिक अप्रोच रखना बेहतर होगा।
क्या न करें निवेशक?
निवेशकों को मेटल और पेंट कंपनियां से बचना चाहिए। पेंट में क्रूड का काम ज्यादा होता है। इनसे अभी दूर रहें। वहीं, अच्छे मॉनसून की उम्मीद के बीच फर्टिलाइजर कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। निवेशक इनमें ट्रेड कर सकते हैं। निवेशकों को यह सलाह है कि उन कंपनियों का चयन करें जिनके बारे में उन्हें पूरी जानकारी हो और साथ ही वह इस बात को जानते हों कि कंपनी का बिजनेस बेहतर हो। इकबाल के मुताबिक बाजार के लिहाज से मौजूदा निफ्टी का 10,700 का स्तर टूटकर 10,400-10,350 तक के सपोर्ट लेवल पर देखा जा सकता है।