ऑडिटर्स के लिए नियमों में सख्ती चाहता है सेबी
देश के दूसरे सबसे बड़े कर्जदाता पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुआ 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला भी ऑडिटिंग में चूक के कारण कई साल तक पकड़ में नहीं आ सका
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पूंजी बाजार नियामक सेबी वित्तीय नतीजों की ऑडिटिंग एवं अन्य कार्यों के लिए लिस्टेड कंपनियों द्वारा नियुक्त ऑडिटर्स व अन्य वैल्यूअर्स (मूल्यांकन करने वालों) के लिए नियमों में सख्ती की तैयारी में है। इस दिशा में सेबी ने नियम कठोर करने के लिए संशोधनों का प्रस्ताव रखा है। मसौदे पर 30 दिन के भीतर संबंधित पक्षों की राय मांगी गई है।
ऑडिटिंग में खामियों के कारण वर्षों तक कई फर्जीवाड़े पकड़ में नहीं आते हैं। देश के दूसरे सबसे बड़े कर्जदाता पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुआ 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला भी ऑडिटिंग में चूक के कारण कई साल तक पकड़ में नहीं आ सका था। इसे देखते हुए ही रिजर्व बैंक से लेकर तमाम नियामक ऑडिटरों की जवाबदेही तय करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
सेबी ने अपने प्रस्ताव में कंपनी के निदेशक बोर्ड को अधिकार देने की सिफारिश की है, ताकि वह किसी कानून का उल्लंघन करने, झूठा प्रमाणपत्र या रिपोर्ट देने वाले ऑडिटर या ऑडिटिंग कंपनी के खिलाफ जांच के बाद उचित कार्रवाई कर सके। मर्चेट बैंकर्स, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों, कस्टोडियन्स आदि का सेबी में पंजीकरण होता है। ये सभी इकाइयां सेबी के नियमों से बंधी होती हैं। कानून में संशोधन से ऑडिटरों के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा कि वे जो सर्टिफिकेट या रिपोर्ट जारी करें, वे हर दृष्टिकोण से सही हों। उल्लंघन पकड़ में आने पर ऑडिटर्स की जिम्मेदारी होगी कि वे कंपनी की ऑडिट कमेटी या कंप्लायंस ऑफिसर को इसकी लिखित में रिपोर्ट दें।