विजय माल्या मामले को देखते हुए सेबी ने की कंपनी एक्ट में बदलाव की मांग
कंपनी एक्ट के मुताबिक अगर किसी अदालत के आदेश से संबंधित निदेशक पद पर बैठा व्यक्ति अयोग्य साबित हो जाता है और उसे पद से हटना पड़ता है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सरकार से मांग की है कि वो कंपनी एक्ट में संशोधन करे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निदेशक को अयोग्य ठहराए जाने के बाद उसे खुद अपने पद को छोड़ देना चाहिए। विजय माल्या के कर्ज न लौटाने को देखते हुए सेबी ने सरकार से यह अपील की है।
कंपनी एक्ट के मुताबिक अगर किसी अदालत के आदेश से संबंधित निदेशक पद पर बैठा व्यक्ति अयोग्य साबित हो जाता है और उसे पद से हटना पड़ता है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसी तरह की अयोग्यता अगर सेबी घोषित कर दे तो निदेशक को पद छोड़ना चाहिए या नहीं, जबकि उसे हजारों सूचीबद्ध कंपनी के नियमन का जिम्मा मिला हुआ है।
सेबी ने एक प्रस्ताव में कहा है कि कंपनी कानून में यह स्पष्ट रूप से जिक्र होना चाहिए अगर वह भी किसी निदेशक को अयोग्य घोषित कर दे, तो उसे तत्काल पद छोड़ देना होगा। अधिकारियों का कहना है कि वित्त मंत्रालय ने प्रस्तावित संशोधन को लेकर सेबी से इस बारे में अपने निदेशक मंडल से मंजूरी प्राप्त करने तथा उसके बाद उसे कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय को भेजने को कहा है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि कंपनी कानून के लिए नोडल मंत्रालय कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय है।
अपने प्रस्ताव में सेबी ने 25 जनवरी, 2017 के आदेश का जिक्र किया है। इस आदेश में नियामक ने माल्या तथा छह अन्य को किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में अगले आदेश तक निदेशक पद लेने से मना किया है। गौरतलब है कि विजय माल्या पर बैंकों का लगभग 9400 करोड़ रुपए बकाया है।