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SEBI ने गिरवी रखे शेयरों और म्‍युचुअल फंडों पर कसी नकेल, किए ये नये प्रावधान

SEBI ने लिक्विड म्‍युचुअल फंडों पर किसी एक क्षेत्र में निवेश की अधिकतम सीमा कुल संपत्ति का 20 फीसद तय किया है

By Manish MishraEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 10:56 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2019 01:30 PM (IST)
SEBI ने गिरवी रखे शेयरों और म्‍युचुअल फंडों पर कसी नकेल, किए ये नये प्रावधान
SEBI ने गिरवी रखे शेयरों और म्‍युचुअल फंडों पर कसी नकेल, किए ये नये प्रावधान

नई दिल्‍ली (बिजनेस डेस्‍क)। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कुछ टॉप एसेट मैनेजमेंट कंपनियों में लिक्विडिटी संकट को देखते हुए गुरुवार को नये प्रावधानों की व्यवस्था की। इनमें लिक्विड स्‍कीम्‍स पेश कर रहे म्‍युचुअल फंडों के लिये नकदी और गवर्नमेंट सिक्‍योरिटीज जैसे लिक्विड एसेट में अपने धन का कम से कम 20 फीसद निवेश अनिवार्य करना तथा शेयर गिरवी रख कर धन लेने वाली कंपनियों के साथ यथास्थिति बनाए रखने का कोई करार करने पर प्रतिबंध शामिल है।   

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SEBI ने लिक्विड म्‍युचुअल फंडों पर किसी एक क्षेत्र में निवेश की अधिकतम सीमा कुल संपत्ति का 20 फीसद तय किया है। इसके साथ ही सेबी ने प्रमोटर्स द्वारा गिरवी रखे गये शेयरों के बारे में सूचना देने के प्रावधानों को भी सख्‍त बना दिया है। इसके अलावा, अलग मताधिकार वाले शेयर जारी करने वाली टेक्‍नोलॉजी कंपनियों के लिये सूचीबद्ध होना आसान बना दिया है।   

सेबी के सामने कई ऐसे मामले आए है जहां शेयर के बदले कर्ज योजना में डेट पेपर्स में निवेश करने वाले म्‍युचुअल फंडों ने कम पहचान या कम रेटिंग वाली कंपनियों के डेट पेपर्स में उनके प्रमोटर्स के शेयरों के आधार पर पैसे निवेश किए। SEBI के निदेशक मंडल की बैठक के बाद जारी नए निर्देशों में नियामक ने कहा है कि शेयरों पर किसी तरह की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष देनदारी होने पर उन्हें बंधक शेयर माना जाएगा।

SEBI ने कहा कि यदि बंधक या गिरवी रखे शेयरों का आंकड़ा कंपनी की शेयर इक्विटी पूंजी के 20 फीसद से अधिक हो जाता है तो प्रमोटर्स को इसकी लिखित रूप से इसकी वजह बतानी होगी। यहां उल्लेखनीय है कि प्रमुख गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFC) में नकदी संकट के बाद डीएचएफएल जैसे शैडो बैंकों और मीडिया क्षेत्र के जी ग्रुप सहित कई अन्य कंपनियों ने अपने कर्ज के भुगतान में चूक की।

हालांकि, दोनों कंपनियों ने अपने कर्जदाताओं के साथ शेयरों के संबंध में यथास्थिति कायम रखने का करार किया है। सबसे बड़ी संपत्ति प्रबंधन कंपनी एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी ने कहा कि वह डीएचएफएल की 500 करोड़ रुपये की एनसीडी की पुनर्खरीद करेगी, जो वह अपने फिक्‍स्‍ड इनकम स्‍कीम के निवेशकों से समय पर भुना नहीं पाई। इसका मतलब है कि एचडीएफसी एएमसी को 500 करोड़ रुपये की चोट लगेगी। हालांकि, कोटक एएमसी जो अपनी यूनिट्स को समय पर नहीं भुना पाई उसने अपने फिक्‍स्‍ड इनकम स्‍कीम के निवेशकों को भुगतान के लिए एक साल और इंतजार करने को कहा।

SEBI ने कहा कि यदि किसी कंपनी के गिरवी रखे शेयर 20 फीसद से अधिक हो जाते हैं तो ऑडिट पैनल को किसी भी बंधक रखे शेयरों, जिनका खुलासा नहीं किया गया है, की जानकारी देनी होगी। SEBI के चेयरमैन अजय त्यागी ने बोर्ड की बैठक के बाद कहा कि नई व्यवस्था के तहत एसआर शेयर जारी करने वाली टेक्‍नोलॉजी कंपनियों को लिस्टिंग के लिये सिर्फ सामान्य शेयर जारी करने की मंजूरी दी जा सकती है। त्यागी ने कहा कि नए नियम सिर्फ टेक्‍नोलॉजी कंपनियों पर लागू होंगे।   

सेबी के अनुसार, जो कंपनियां प्रोडक्‍ट्स, सर्विसेज या बिजनेस प्‍लेटफॉर्म उपलब्‍ध कराने के लिये व्यापक स्तर पर टेक्‍नोलॉजी, इन्‍फॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी, बौद्धिक संपदा, डेटा विश्लेषण, बायो टेक्‍नोलॉजी आदि का इस्तेमाल करती हैं उन्हें टेक्‍नोलॉजी कंपनी माना जाता है। सेबी ने कहा कि IPO आ जाने के बाद उत्कृष्ट मताधिकार वाले शेयरों को भी शेयर बाजारों में लिस्‍ट कराना होगा। हालांकि, IPO के बाद उत्कृष्ट मताधिकार वाले शेयरों को अगले पांच साल तक सामान्य शेयरों में नहीं बदला जा सकता है।


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