मोतीलाल ओसवाल व इंडिया इन्फोलाइन कमोडिटी ब्रोकर बनने योग्य नहीं: सेबी
सेबी के अनुसार मोतीलाल ओसवाल और इंडिया इन्फोलाइन दो वजहों से काम करने के उपयुक्त नहीं हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने फैसला किया है कि मोतीलाल ओसवाल कमोडिटीज ब्रोकर और इंडियन इन्फोलाइन कमोडिटीज कमोडिटी डेरिवेटिव ब्रोकर का काम करने को उपयुक्त नहीं हैं। सेबी ने यह फैसला 5,600 करोड़ रुपये के एनएसईएल घोटाले के संबंध में दिया है। घोटाले के बाद नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) का कामकाज बंद हो गया था।
सेबी ने कहा कि किसी भी ब्रोकर की पात्रता शर्तो में उसकी साख व प्रतिष्ठा अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन दोनों फर्मो की प्रतिष्ठा को भारी धक्का लगा है। सेबी का यह फैसला 2013 में सामने आए एनएसईएल के भुगतान घोटाले के संबंध में आया है। उस समय घोटाला खुलने के बाद कई ब्रोकर समेत अनेक कंपनियों की सेबी और अन्य जांच एजेंसियों ने छानबीन शुरू की थी।
सेबी ने 22 फरवरी को जारी दो अलग-अलग आदेशों में कहा कि मोतीलाल ओसवाल कमोडिटीज और इंडिया इन्फोलाइन कमोडिटीज को कमोडिटी डेरिवेटिव ब्रोकर के तौर पर काम करने के लिए पंजीकरण की अनुमति नहीं दी जा सकती है। मार्केट रेगुलेटर ने मोतीलाल ओसवाल के 11 दिसंबर और 16 दिसंबर 2015 के आवेदनों को खारिज कर दिया है। उसने इंडिया इन्फोलाइन के 23 दिसंबर 2015 के आवेदन को भी रद कर दिया है। आदेश के अनुसार ये दोनों फर्मे कमोडिटी ब्रोकर के रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम नहीं कर सकती हैं।
सेबी के अनुसार मोतीलाल ओसवाल और इंडिया इन्फोलाइन दो वजहों से काम करने के उपयुक्त नहीं हैं। एनएसईएल मामले में इन दोनों ने कथित तौर पर विभिन्न कानूनों और परिपत्रों का उल्लंघन किया। यही नहीं, एनएसईएल में अनुबंधों के संबंध में हुए लेनदेनों को लेकर इन दोनों फर्मो के खिलाफ विभिन्न अदालतों और अधिकारियों ने प्रतिकूल टिप्पणियां की हैं। इन दोनों पर लगे आरोपों के चलते उनकी साख और क्षमता को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।