Infosys मामले में Sebi ने शुरु की जांच, कंपनी के सीईओ, सीएफओ समेत शीर्ष प्रबंधन पर हैं आरोप
व्हिसलब्लोअर्स की शिकायतों की जानकारी शेयर बाजार को समय पर उपलब्ध नहीं कराने के आरोप में BSE ने Infosys से सफाई मांगी है। वहीं सेबी अपनी चांज में शीर्ष प्रबंधन को तलब कर सकता है
नई दिल्ली, पीटीआइ। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने इन्फोसिस के शीर्ष प्रबंधन पर लगे आरोपों की जांच शुरू कर दी है। नियामक इस मामले में कंपनी के शीर्ष अधिकारियों द्वारा संवेदनशील जानकारी छिपाने और गवर्नेंस खामियों के आरोपों की पड़ताल करेगा। कंपनी के कुछ अज्ञात कर्मचारियों (व्हिसलब्लोअर्स) ने कंपनी के शीर्ष अधिकारियों पर अनुचित व्यापार का आरोप लगाया है। सूत्रों के मुताबिक सेबी ने इस बारे में स्टॉक एक्सचेंज से जानकारी मुहैया कराने को कहा है।
सेबी इस मामले की जांच में कंपनी के शीर्ष प्रबंधन को तलब कर सकता है। इसके अलावा कंपनी के बोर्ड और इसकी कुछ समितियों से पूछताछ की जा सकती है। नियामक इस मामले में ऑडिट कमेटी द्वारा की जा रही इंटरनल जांच की प्रगति पर भी नजर रखेगा। सेबी की नजर कंपनी के स्वतंत्र निदेशकों पर भी रहेगी। इन अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने व्हिसलब्लोअर्स की शिकायत को शेयर बाजारों के साथ साझा नहीं किया।
कंपनी के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने मंगलवार को इस मामले की जानकारी शेयर बाजारों को दी थी और कहा था कि कंपनी की इंटरनल ऑडिट कमेटी मामले की जांच करेगी। गौरतलब है कि मामला सामने आने के बाद इस आइटी कंपनी के शेयर मंगलवार को 16 परसेंट लुढ़क गए थे। इस तरह कंपनी के बाजार पूंजीकरण में एक ही दिन में 53 हजार करोड़ रुपये की गिरावट आई थी।
बीएसई ने भी मांगी है सफाई
व्हिसलब्लोअर्स की शिकायतों की जानकारी शेयर बाजार को समय पर उपलब्ध नहीं कराने के आरोप में बीएसई ने इन्फोसिस से सफाई मांगी है। मंगलवार को कंपनी के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने शेयर बाजारों को बताया था कि विह्सलब्लोअर की यह शिकायत ऑडिट कमेटी के सामने 10 अक्टूबर को रखी गई थी। नीलेकणि के मुताबिक बोर्ड के एक सदस्य को इस तरह के दो शिकायती पत्र 30 सितंबर को मिले थे। इसमें से एक पर 20 सितंबर की तारीख दर्ज थी, जबकि दूसरा बिना तारीख के था।
यह है मामला
खुद को इन्फोसिस के एथिकल एंप्लॉई कहने वाले कुछ अज्ञात कर्मचारियों (व्हिसलब्लोअर्स) ने कंपनी के सीईओ सलिल पारेख और सीएफओ निलांजन रॉय पर अधिक मुनाफा दिखाने के लिए अनुचित कारोबारी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया था। शिकायकर्ताओं ने वॉइस रिकॉर्डिग और ई-मेल जैसे सुबूत होने की बात भी कही थी। इन कर्मचारियों ने बोर्ड को इस बारे में दो पत्र लिखे थे। लेकिन बोर्ड की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर इन्होंने अमेरिका स्थित ‘ऑफिस ऑफ द व्हिसलब्लोअर्स प्रोटेक्शन प्रोग्राम’ को इसकी जानकारी दी थी।