SCO Summit 2019: भारत से मिन्नतें कर रहा है कर्ज में डूबा पाकिस्तान, आयात में आई 92% की कमी
SCO Summit 2019 कर्ज में डूबे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बिश्केक में पीएम नरेंद्र मोदी से करना चाहते हैं बातचीत लेकिन भारत की है आतंकवाद मुक्त माहौल की शर्त।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इस समय प्रधानमंत्री मोदी किर्गिस्तान के बिश्केक में आयोजित हो रही एससीओ समिट में हिस्सा ले रहे हैं। समिट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी पहुंचे हैं। इस समिट में इमरान खान लगातार भारत से रिश्ते सुधारने की बात कहते दिख रहे हैं। यही नहीं, एक तरह से वे भारत के साथ बातचीत की मिन्नतें करते भी दिख रहे हैं। इससे पहले इमरान खान ने यह भी माना है कि इस समय भारत के साथ उनके रिश्ते लगभग सबसे निचले स्तर पर हैं। इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान किसी भी प्रकार की मध्यस्थता के लिए तैयार है और अपने सभी पड़ोसी देशों, खास तौर से भारत के साथ शांति चाहता है।
दरअसल पाकिस्तान इस समय बदहाल अर्थव्यवस्था, कर्ज और गरीबी से कराह रहा है। पुलवामा हमले के बाद भारत द्वारा कूटनीतिक स्तर पर की गई पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय घेराबंदी से इस देश की अर्थव्यवस्था तबाही के रास्ते पर है। यही कारण है कि अब पाकिस्तान भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधारना चाहता है।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार में बहुत ज्यादा गिरावट देखने को मिली है। भारत ने इस आतंकी हमले के बाद बेहद सख्त कदम उठाते हुए पाकिस्तान के सभी उत्पादों पर 200 फीसद आयात शुल्क लगा दिया था। इस फैसले के कारण इस साल मार्च में पाकिस्तान से होने वाला आयात 92 फीसद घटकर 28.4 लाख डॉलर पर आ गया। यह गिरावट इतनी ज्यादा है कि अगर ऐसा कहा जाए कि इस साल मार्च में पाकिस्तान से आयात लगभग बंद ही हो गया था, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। मार्च 2019 तिमाही में पाकिस्तान से आयात 47 फीसद घटकर 5.365 करोड़ डॉलर पर आ गया। भारत से पाकिस्तान को निर्यात भी करीब 32 फीसद घटकर मार्च में 17.134 करोड़ डॉलर रह गया। गौरतलब है कि भारत ने पाकिस्तान को दिया मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा भी वापस ले लिया है।
पाकिस्तान इस समय बढ़ते हुए कर्जों और उसकी ब्याज अदायगी को लेकर तो चिंतित है ही बल्कि वहां संसाधनों की भी भारी कमी बताई जा रही है। पाकिस्तान की पिछले साल की समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, देश की 10 सालों में डॉलर कमाने की क्षमता जीरो हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार देश को अरबों डॉलर का ब्याज देना पड़ रहा है। पाकिस्तान के करीबी मित्र सऊदी अरब और चीन भी उसकी जितनी मदद कर सकते थे, कर चुके हैं। अंतिम आस के रूप में पाकिस्तान को आईएमएफ से बेहद कड़ी शर्तों के साथ 6 अरब डॉलर मिलेंगे लेकिन, उसके बाद भी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्थआ के संभलने के कोई आसार नहीं हैं।
वहीं भारत ने अपना रूख स्पष्ट किया हुआ है। एससीओ समिट के दौरान पीएम मोदी की शी जिनपिंग से मुलाकात हुई थी। इसमें पाकिस्तान के मुद्दे पर भी संक्षिप्त चर्चा हुई। मुलाकात के बाद विदेश सचिव विजय गोखले का कहना था कि भारत पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है लेकिन पाकिस्तान को आतंक का रास्ता छोड़ना होगा। गोखले ने बताया कि जिनपिंग से मुलाकात में पीएम मोदी ने कहा 'पाकिस्तान को आतंक से मुक्त माहौल बनाने की जरूरत है, लेकिन अभी तक हम ऐसा होते नहीं देख रहे हैं।' भारत का यही रुख है कि एससीओ समिट में इमरान खान और प्रधानमंत्री मोदी पास-पास तो थे लेकिन, न तो दोनों ने एक दूसरे से हाथ मिलाया और न ही बातचीत ही की।
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