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NBFCs, HFCs की लिक्विडिटी की स्थिति सुधारने के लिए स्कीम को मंजूरी, जानिए इससे जुड़ी हर जानकारी

RBI ने कहा कि ये इंस्ट्रुमेंट कॉमर्शियल पेपर्स और नॉन-कंवर्टेबल डिबेंचर्स के रूप में होने चाहिए और उनकी रेसिड्यूल मेच्योरिटी तीन माह से अधिक नहीं होनी चाहिए।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 05:45 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 06:51 PM (IST)
NBFCs, HFCs की लिक्विडिटी की स्थिति सुधारने के लिए स्कीम को मंजूरी, जानिए इससे जुड़ी हर जानकारी
NBFCs, HFCs की लिक्विडिटी की स्थिति सुधारने के लिए स्कीम को मंजूरी, जानिए इससे जुड़ी हर जानकारी

मुंबई, पीटीआइ। सरकार ने एक स्कीम को मंजूरी दी है, जिसके तहत पात्र नॉन-बैंकिंग लेंडर्स को एक स्पेशल पर्पस व्हीकल (SPV) के जरिए लघु अवधि की लिक्विडिटी उपलब्ध करायी जाएगी। भारतीय स्टेट बैंक की अनुषंगी SBICAP Securities ने इस SPV का गठन किया है। आरबीआई ने बुधवार को यह बात कही। इस विशेष लिक्विडिटी योजना के तहत SPV पात्र नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFCs) से लघु अवधि के लिए पेपर्स खरीदेगी। इस स्कीम से प्राप्त राशि का इस्तेमाल केवल मौजूदा देनदारियों को निपटाने के लिए किया जा सकेगा। 

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भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा, ''भारत सरकार ने वित्तीय सेक्टर में किसी भी तरह के व्यवस्थागत जोखिम को टालने के लिए और एसपीवी के जरिए NBFCs/HFCs की लिक्विडिटी की स्थिति को बेहतर करने के लिए एक स्कीम को अपनी मंजूरी दे दी है।''

आरबीआई ने कहा कि ये इंस्ट्रुमेंट कॉमर्शियल पेपर्स और नॉन-कंवर्टेबल डिबेंचर्स के रूप में होने चाहिए और उनकी रेसिड्यूल मेच्योरिटी तीन माह से अधिक नहीं होनी चाहिए और उनकी रेटिंग इंवेस्टमेंट ग्रेड की होनी चाहिए।

हालांकि, 30 सितंबर, 2020 के बाद इश्यू किसी भी पेपर के लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं होगी 


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