अब ICICI बैंक में घोटाला में आया सामने, चंदा कोचर पर लगा आरोप
वीडियोकॉन ने कर्ज नहीं चुकाया और 3,000 करोड़ रुपये की राशि फंसे कर्ज (एनपीए) में बदल गई
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बैंकिंग क्षेत्र में घोटाले सामने आने का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा। अब देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक आइसीआइसीआइ की सीईओ और एमडी चंदा कोचर पर घोटाले का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के संयुक्त उपक्रम को कर्ज देने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। वीडियोकॉन ने कर्ज नहीं चुकाया और 3,000 करोड़ रुपये की राशि फंसे कर्ज (एनपीए) में बदल गई।
आइसीआइसीआइ बैंक ने इस आरोप को पुरजोर तरीके से नकार दिया है, लेकिन इससे बैंकिंग फ्रॉड के मामले सामने आने का सिलसिला जारी है। पिछले दो महीनों में देश के निजी और सरकारी बैंकों में तकरीबन 24 हजार करोड़ रुपये के घोटाले सामने आ चुके हैं। आइसीआइसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर पर आरोप लगा है कि उन्होंने अपने पति और वीडियोकॉन समूह के प्रमुख वेणुगोपाल धूत की गठित एक कंपनी न्यूपॉवर को कर्ज दिलाने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया।
आरोप यह है कि धूत ने पहले दीपक कोचर के साथ मिलकर एक कंपनी बनाई। इस कंपनी को धूत की एक अन्य कंपनी से 64 करोड़ रुपये कर्ज दिए गए। बाद में इस कंपनी को दीपक कोचर की अध्यक्षता वाले एक न्यास को महज नौ लाख रुपये में सौंप दिया गया। कोचर के न्यास को इस कंपनी को सौंपने के ठीक छह महीने पहले बैंक ने वीडियोकॉन को 3250 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। कंपनी ने इस कर्ज को नहीं चुकाया जो बाद में एनपीए में तब्दील हो गया।’
आइसीआइसीआइ बैंक पर 59 करोड़ का जुर्माना
बैंकिंग क्षेत्र के नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने निजी क्षेत्र के अग्रणी कर्जदाता आइसीआइसीआइ बैंक पर 58.9 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है। बैंक पर सिक्युरिटीज की सीधी बिक्री को लेकर आरबीआइ नियमों के उल्लंघन का आरोप था। एक बयान में आरबीआइ ने गुरुवार को कहा, ‘हेल्ड-टु-मेच्योरिटी (एचटीएम) पोर्टफोलियो की सीधी बिक्री और उसके बारे में समुचित जानकारी जाहिर करने को लेकर आरबीआइ के दिशानिर्देशों का आइसीआइसीआइ बैंक ने उल्लंघन किया, जिसके चलते उस पर 58.9 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। आइसीआइसीआइ बैंक ने एचटीएम श्रेणी में रखी सिक्युरिटीज की लगातार बिकवाली की।’
बैंक ने गुरुवार को कहा कि इस मामले में आरबीआइ के दिशानिर्देश लागू होने के वक्त के बारे में गलतफहमी के चलते उससे यह भूल हो गई। उसने कहा कि नियामक संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करना बैंक की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है। बैंक ने कहा कि वह मार्च, 2017 में खत्म तिमाही के दौरान लगातार कुछ सप्ताह तक एचटीएम कैटेगरी के सिक्युरिटीज की बिक्री करता रहा। आरबीआइ ने स्पष्ट किया है कि इस जुर्माने का बैंक व किसी ग्राहक के लेन-देन से कोई संबंध नहीं है