ट्रंप की धमकी हुई बेअसर, रूस अब चाइनीज करेंसी युआन में जारी करेगा सरकारी बांड
रूस के वित्त मंत्रालय ने पहली बार चीन की करेंसी युआन में बांड (Russia yuan bonds) जारी करने की घोषणा की है। रूस के लिए चीन सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है। पिछले साल दोनों देशों के बीच ट्रेड 245 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। चीन ने रूस से खरीदे गए कच्चे तेल और गैस का भुगतान मुख्य रूप से युआन में ही किया है।

रूस पहली बार युआन में बांड जारी करेगा
अमेरिका और यूरोपीय देशों के प्रतिबंधों के बीच रूस एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। वह पहली बार चीन की करेंसी युआन में सरकारी बांड (Russia yuan bonds) जारी करेगा। रूस के वित्त मंत्रालय ने कहा है कि 8 दिसंबर को ये बांड जारी किए जाएंगे। इन बांड्स की मैच्युरिटी तीन से सात साल की होगी।
आपको बता दें कि यूक्रेन युद्ध के कारण अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस की अनेक कंपनियों और बैंकों पर प्रतिबंध लगा रखा है। इन देशों में रूस के कई एसेट भी सीज किए गए हैं। रूस से कच्चा तेल खरीदने के कारण ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ (Trump tariffs) भी लगाया है।
रूस के तीन बैंक जारी करेंगे ये बांड
रूस के वित्त मंत्रालय ने कहा कि रूसी बैंक गजप्रॉमबैंक, सर्बैंक और वीटीबी कैपिटल इन बांड्स को जारी करेंगे। इन तीनों पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा रखे हैं। निवेशक बांड के लिए भुगतान युआन और रूसी मुद्रा रूबल, दोनों में कर सकते हैं और ब्याज भुगतान प्राप्त कर सकते हैं। न्यूज एजेंसी रायटर्स के अनुसार रूस सरकार 5 अरब डॉलर के बराबर राशि के बांड जारी करने की योजना बना रही है।
रूसी कंपनियों की तरफ से ही मांग
रूस सरकार की तरफ से पहली बार जारी युआन बांड की ज्यादातर मांग चीन के साथ व्यापार करने वाली रूसी कंपनियों से आने की उम्मीद है। वर्ष 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने सबसे अधिक कच्चा तेल और गैस निर्यात चीन को ही किया है। चीन ने उनका भुगतान युआन में किया। इससे रूसी कंपनियों और बैंकों के पास बड़ी मात्रा में युआन जमा हो गया है। यह बांड उन्हें विकल्प प्रदान करेगा।
अंतरराष्ट्रीय इनवेस्टमेंट बैंक नेटिक्सिस में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की मुख्य अर्थशास्त्री एलिसिया गार्सिया हेरेरो (Alicia Garcia Herrero) ने जागरण से कहा, “रूस, चीन से काफी आयात करता है। इसलिए उसके ऐसा करने (बांड जारी करने) का मतलब बनता है। इसके और भी कारण हैं। चीनी करेंसी की यील्ड बहुत कम है। चीनी करेंसी अपने आप में बहुत कमजोर है और कमजोर ही रहेगी। रूस के लिए यह सस्ती होगी।”
एलिसिया के अनुसार, “हो सकता है कि एसेट मैनेजर इस बांड को खरीदना न चाहें। इसलिए संभव है कि उन्हें इसके लिए कुछ प्रोत्साहन दिया जाए। वैसे भी रूस की तरफ से इस तरह की कवायद पहली बार नहीं है। कोविड से पहले रूसी कंपनी लुकऑयल के आईपीओ की लिस्टिंग हांग कांग में हुई थी।”
रूस और चीन के बीच राजनीतिक संबंध भी मजबूत हैं। दोनों देशों के नेताओं ने 2022 में ‘असीमित रणनीतिक साझेदारी’ की घोषणा की थी। दोनों देशों के बीच व्यापार पिछले साल रिकॉर्ड 245 अरब डॉलर तक पहुंच गया था।
रूसी एसेट में चीनी निवेश पर भी चल रही है बात
रायटर्स के अनुसार, रूस दोनों देशों के वित्तीय बाजारों के बीच साझीदारी के लिए भी चीन के साथ बातचीत कर रहा है। इससे चीनी निवेशक पश्चिमी नियामकों की निगरानी के बिना रूसी एसेट में निवेश कर सकेंगे। हालांकि अब तक बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है। रूस के वित्त मंत्री एंटोन सिलुआनोव ने मई में कहा था कि रूस और चीन के बीच 90% व्यापार रूबल और युआन में होता है। हालांकि उन्होंने युआन की हिस्सेदारी का कोई जिक्र नहीं किया था।
ये बांड मॉस्को स्टॉक एक्सचेंज (MOEX) पर जारी किए जाएंगे। इस एक्सचेंज पर भी पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा रखा है। इसलिए माना जा रहा है कि चीन तथा अन्य एशियाई देशों के निवेशकों सहित अधिकांश विदेशी निवेशकों के लिए इन बांड्स में निवेश प्रतिबंधित रहेगा। जानकारों का कहना है कि रूस की बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त से अधिक युआन मौजूद है। युआन बांड में मुख्य खरीदार स्थानीय निवेशक ही होंगे।
एक प्रमुख पश्चिमी बैंक के अर्थशास्त्री ने रायटर्स को बताया कि रूस का चीन के साथ व्यापार में 20 अरब डॉलर के बराबर का सरप्लस है, जो मुख्यतः युआन में है। रूसी कंपनियां युआन जमा कर रही हैं। उन्हें कहीं न कहीं निवेश करने की जरूरत है। सरकार को भी उधारी की आवश्यकता है। इस बांड से दोनों को मदद मिलेगी।

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