गर्त में जाते रुपये को बचाने के लिए सरकार सक्रिय
एक डॉलर 62 रुपये की मंजिल की तरफ बढ़ चला है। इसे देखते हुए रिजर्व बैंक के लिए अब आकस्मिक उपायों की नौबत आ गई है। सोमवार को रुपया नए सिरे से टूटा और रिकॉर्ड गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले 61.21 रुपये पर पहुंच गया। यह रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप ही था जिससे कारोबार की समाप्ति पर भारतीय मुद्रा में कुछ सुधार नजर आया।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। एक डॉलर 62 रुपये की मंजिल की तरफ बढ़ चला है। इसे देखते हुए रिजर्व बैंक के लिए अब आकस्मिक उपायों की नौबत आ गई है। सोमवार को रुपया नए सिरे से टूटा और रिकॉर्ड गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले 61.21 रुपये पर पहुंच गया। यह रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप ही था जिससे कारोबार की समाप्ति पर भारतीय मुद्रा में कुछ सुधार नजर आया। मगर गिरावट थमने के संकेत नदारद हैं। ढहते रुपये के असर से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स भी 171 अंक टूट गया।
रुपये की गिरावट रोकने के लिए अब सीधे कदम उठाने की नौबत आ गई है ताकि डॉलर की मांग को नियंत्रित हो सके और आपूर्ति बढ़ सके। संकेत हैं कि रिजर्व बैंक ने इस मकसद से तेल कंपनियों से बात की है जो डॉलर की सबसे बड़ी ग्राहक हैं। विदेश में जमा डॉलर लाने के लिए निर्यातकों पर भी दबाव बनाया जा सकता है। इसके अलावा अनिवासी भारतीयों का निवेश बढ़ाने के मकसद से विशेष बांड जारी करने जैसे कदम उठाए जाने की संभावना भी बढ़ गई है ताकि डॉलर की सप्लाई बढ़ सके।
शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहने और कच्चे तेल की कीमतों में ताजा उछाल रुपये की कमजोरी और गहरा रही है। इसलिए सोमवार को अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार के खुलते ही भारतीय मुद्रा नई तलहटी तलाशनी लगी था। शुरुआती कारोबार में एक डॉलर 61.21 रुपये तक गिर गया। सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक ने दिन के सत्र में डॉलर बेचे तब जाकर कुछ सुधार दिखा और डॉलर 60.62 रुपये पर बंद हुआ। टूटते रुपये की वजह से शेयर बाजार भी गिरा।
रिजर्व बैंक रुपये में गिरावट रोकने के लिए पहले भी डॉलर बेच चुका है। हालांकि बाजार को यह मदद बार बार मिलने की उम्मीद नहीं है क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार सीमित है। इसलिए सोमवार को परोक्ष उपायों की तैयारी शुरू हो गई है। कोशिश डॉलर की मांग नियंत्रित करने की है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक रिजर्व बैंक तेल कंपनियों के लिए विशेष डॉलर आपूर्ति व्यवस्था कर सकता है ताकि बाजार में अचानक मांग न निकले। विदेशी मुद्रा बाजार में सट्टेबाजी को सीमित करने के लिए बैंकों पर भी सख्ती की जा सकती है।
संभावित कदम:-
-मांग सीमित करने के लिए तेल कंपनियों को रिजर्व बैंक से सीधे डॉलर दिए जाने की संभावना
-अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में सट्टेबाजी रोकने के लिए विशेष उपाय
-विदेश में जमा डॉलर लाने के लिए निर्यातकों पर बनाया जा सकता है दबाव
-अनिवासी भारतीयों के लिए जारी हो सकता है विशेष बांड