डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ रुपया, जानिए रुपए में गिरावट के मायने
केडिया कमोडिटी के प्रमुख अजय केडिया ने बताया कि अगर ओवरऑल देखें तो साल 2018 रुपए के लिए बेहतर है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। मंगलवार के कारोबार में रुपए में 12 पैसे की गिरावट देखने को मिली। सोमवार को डॉलर के मुकाबले 63.49 पर बंद हुआ भारतीय रुपया मंगलवार को 12 पैसे की गिरावट के साथ 63.61 के स्तर पर खुला। वहीं कुछ कारोबारी मिनटों के बाद रुपए का स्तर 63.70 पर पहुंच गया। वहीं दिन के 12 बजे भारतीय रुपया 63.75 के स्तर पर कारोबार करता देखा गया।
2018 की पहली तिमाही में कहां तक जा सकता है रुपया?
केडिया कमोडिटी के प्रमुख अजय केडिया ने बताया कि अगर ओवरऑल देखें तो साल 2018 रुपए के लिए बेहतर है और रुपया इस साल मजबूती ही दिखाएगा। हालांकि इस साल की पहली तिमाही रुपए के लिए थोड़ी चुनौतीपूर्ण है। केडिया ने बताया कि साल 2018 की पहली तिमाही में रुपया और बेहतर प्रदर्शन करेगा। अगर सिर्फ पहली तिमाही की बात की जाए तो यह निचले स्तर पर 62.70 और ऊपरी स्तर पर 65.20 तक जा सकता है।
अब समझिए रुपए की इस कमजोरी से आम आदमी की जेब पर क्या असर पड़ेगा.....
रुपए के कमजोर से आम आदमी को होते हैं ये 4 नुकसान:
महंगा होगा विदेश घूमना: रुपए के कमजोर होने से अब विदेश की यात्रा आपको थोड़ी महंगी पड़ेगी क्योंकि आपको डॉलर का भुगतान करने के लिए ज्यादा भारतीय रुपए खर्च करने होंगे। फर्ज कीजिए अगर आप न्यूयॉर्क की हवाई सैर के लिए 3000 डॉलर की टिकट भारत में खरीद रहे हैं तो अब आपको पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
विदेश में बच्चों की पढ़ाई होगी महंगी: अगर आपका बच्चा विदेश में पढ़ाई कर रहा है तो अब यह भी महंगा हो जाएगा। अब आपको पहले के मुकाबले थोड़े ज्यादा पैसे भेजने होंगे। यानी अगर डॉलर मजबूत है तो आपको ज्यादा रुपए भेजने होंगे। तो इस तरह से विदेश में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई भारतीय अभिभावकों को परेशान कर सकती है।
क्रूड ऑयल होगा महंगा तो बढ़ेगी महंगाई: डॉलर के मजबूत होने से क्रूड ऑयल भी महंगा हो जाएगा। यानि जो देश कच्चे तेल का आयात करते हैं, उन्हें अब पहले के मुकाबले (डॉलर के मुकाबले) ज्यादा रुपए खर्च करने होंगे। भारत जैसे देश के लिहाज से देखा जाए तो अगर क्रूड आयल महंगा होगा तो सीधे तौर पर महंगाई बढ़ने की संभावना बढ़ेगी।
डॉलर में होने वाले सभी पेमेंट महंगे हो जाएंगे: वहीं अगर डॉलर कमजोर होता है तो डॉलर के मुकाबले भारत जिन भी मदों में पेमेंट करता है वह भी महंगा हो जाएगा। यानी उपभोक्ताओं के लिहाज से भी यह राहत भरी खबर नहीं है।