शेयर समीक्षा: फेड रिजर्व के कदम और रुपये की चाल पर रहेगी नजर
डॉलर की तुलना में रुपये में जारी गिरावट और कच्चे तेल की ऊंची कीमत के चलते घरेलू शेयर बाजार गिरावट में चल रहे हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार के हालात, डॉलर की तुलना में रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमत पर इस हफ्ते निवेशकों की निगाह रहेगी। इसके अलावा अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बदलाव का फैसला भी शेयर बाजार की चाल को प्रभावित कर सकता है। बीते हफ्ते बीएसई के सेंसेक्स में 1249.04 अंक की बड़ी गिरावट आई थी। साप्ताहिक आधार पर यह लगातार तीसरी गिरावट रही।
वैश्विक बाजारों का हाल: अगर प्रमुख एशियाई बाजारों ने तेज शुरुआत की है। सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर जापान का निक्केई 0.82 फीसद की तेजी के साथ 23869.93 के स्तर पर, चीन का शांघाई 2.50 फीसद की तेजी के साथ 2797 पर, हैंगसेंग 1.22 फीसद की गिरावट के साथ 27606 पर और ताइवान का कॉस्पी 0.68 फीसद की तेजी के साथ 2339 पर कारोबार करता देखा गया।
वहीं अगर अमेरिकी बाजारों की बात करें तो बीते कारोबारी दिन में डाओ जोंस को छोड़ सभी लाल निशान पर बंद हुए। डाओ जोंस बीते कारोबारी दिन में 0.32 फीसद की तेजी के साथ 26743 पर, स्टैंडर्ड एंड पुअर्स 0.04 फीसद की गिरावट के साथ 2929 पर और नैस्डैक 0.51 फीसद की गिरावट के साथ 7986 पर बंद हुआ।
रुपये और कच्चे तेल के कारण बाजार में गिरावट: डॉलर की तुलना में गिरते रुपये और कच्चे तेल की ऊंची कीमत के चलते घरेलू शेयर बाजार गिरावट में चल रहे हैं। शुक्रवार को एनबीएफसी सेक्टर में मची अफरा-तफरी के चलते सेंसेक्स ने इंट्रा डे में 1500 अंकों का गोता लगा लिया था। हालांकि बाद में इसमें सुधार हुआ और सेंसेक्स इस गिरावट को 280 अंक पर समेटने में सफल रहा। कर्ज में डूबे आइएलएंडएफएस की स्थिति को देखते हुए बाजार में इस तरह की अफवाहों ने जोर पकड़ा है कि सरकारी बैंक एनबीएफसी को कर्ज देने से हाथ खींचने की तैयारी कर रहे हैं। इसी अफवाह के चलते एनबीएफसी सेक्टर में बड़ी गिरावट आई है। इस स्थिति को संभालने के रविवार को एसबीआइ ने सामने आकर भरोसा दिलाया है कि एनबीएफसी को कर्ज देने के मामले में कोई कटौती करने की योजना नहीं है।
एक्सपर्ट का नजरिया: जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि आने वाले दिनों में महंगे कच्चे तेल, मजबूत डॉलर और राजकोषीय घाटे की चिंता में बाजार में नरमी दिख सकती है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक पर भी निवेशकों की निगाह रहेगी।
शीर्ष 10 में से सात कंपनियों का एम-कैप गिरा: बाजार की शीर्ष 10 कंपनियों में से सात के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में बीते हफ्ते 89,779.67 करोड़ रुपये की बड़ी गिरावट आई। सबसे ज्यादा नुकसान रिलायंस इंडस्ट्रीज को हुआ। रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार मूल्यांकन 22,530.89 करोड़ रुपये गिरकर 7,71,293.11 करोड़ रुपये पर आ गया। एसबीआइ का मार्केट कैप 18,161.51 करोड़ रुपये गिरकर 2,41,008.49 करोड़ रुपये रहा। मारुति सुजुकी, एचडीएफसी, इन्फोसिस, आइटीसी और हिंदुस्तान यूनीलिवर के बाजार पूंजीकरण में भी गिरावट आई। समीक्षाधीन सप्ताह में टीसीएस, ओएनजीसी और एचडीएफसी बैंक के बाजार पूंजीकरण में वृद्धि हुई।
विदेशी निवेशकों ने निकाले 15,365 करोड़ रुपये: भारतीय पूंजी बाजार से विदेश निवेशकों का भरोसा डगमगाया हुआ है। सितंबर में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने भारतीय पूंजी बाजार से 15,365 करोड़ रुपये की निकासी की है। इसमें से 6,832 करोड़ रुपये की निकासी इक्विटी बाजार से और 8,533 करोड़ रुपये की निकासी डेट मार्केट से हुई। इससे पहले पिछले दो महीने में विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजार में क्रमश: 5,200 करोड़ रुपये और 2,300 करोड़ रुपये का निवेश किया था। अप्रैल-जून की अवधि में एफपीआइ ने भारतीय पूंजी बाजार से 61,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी की थी।
वित्तीय बाजार की उठापटक पर है रिजर्व बैंक की नजर: रिजर्व बैंक ने कहा है कि सेबी के साथ-साथ वह भी वित्तीय बाजार पर नजर बनाए हुए है। जरूरत पड़ने पर वह कोई भी कदम उठाने को तैयार है। केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को शेयर बाजार में मिड सेशन में हुई बड़ी उठापटक को देखते हुए यह बात कही। शुक्रवार को अच्छी शुरुआत के बाद सेंसेक्स में अचानक 1,128 अंक की बड़ी गिरावट आई थी। इंट्रा डे में इसमें कुल 1,500 अंक की गिरावट देखी गई थी। बाजार बंद होने तक यह गिरावट 280 अंक पर सिमट गई थी।