शेयर समीक्षा: रुपये, तेल और विदेशी संकेतों से तय होगी बाजार की दिशा
रुपये को थामने के लिए उठाए गए सरकार के कदमों का असर बाजार पर दिख सकता है। बीते हफ्ते घरेलू बाजारों में नरमी रही थी
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इस हफ्ते घरेलू शेयर बाजारों की चाल पर कई कारकों का असर देखने को मिल सकता है। इनमें डॉलर की तुलना में रुपये की चाल, कच्चे तेल की कीमत और अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार की स्थिति अहम होगी। इस हफ्ते गुरुवार को मोहर्रम के मौके पर शेयर बाजार बंद रहेंगे। बीते हफ्ते बीएसई के सेंसेक्स में 299 अंक की गिरावट आई थी। साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स में लगातार दूसरी गिरावट दर्ज की गई। इससे पहले लगातार छह हफ्ते बाजार में बढ़त रही थी।
वैश्विक बाजारों का हाल: आज प्रमुख एशियाई बाजारों ने सुस्त शुरुआत की है। सुबह करीब 8 बजे जापान का निक्केई 1.20 फीसद की तेजी के साथ 23094 पर चीन का शांघाई 0.89 फीसद की गिरावट के साथ 2657 पर और हैंगसेंग 1.74 फीसद की गिरावट के साथ 26810 पर और ताइवान का कॉस्पी 0.78 फीसद की गिरावट के साथ 2300 पर कारोबार करता देखा गया।
वहीं अगर अमेरिकी बाजारों की बात करें तो बीते दिन डाओ जोंस 0.03 फीसद की तेजी के साथ 26154 पर, स्टैंडर्ड एंड पुअर्स 0.03 फीसद की तेजी के साथ 2904 पर और नैस्डैक 0.05 फीसद की गिरावट के साथ 8010 पर बंद हुआ।
रुपये में गिरावट के चलते निवेशकों में घबराहट का माहौल: डॉलर की तुलना में रुपये में गिरावट का क्रम जारी है। इसके चलते निवेशकों में घबराहट की स्थिति बनी हुई है। शुक्रवार को सरकार ने रुपये की गिरावट थामने के लिए मसाला बांड से विदहोल्डिंग टैक्स हटाने, एफपीआइ के लिए नियमों में ढील और गैर जरूरी आयात पर अंकुश लगाने जैसे कदम उठाने की घोषणा भी की। इन कदमों से चालू खाता घाटा संभालने और घरेलू मुद्रा को थामने में मदद मिलेगी। इसका असर घरेलू बाजारों पर दिख सकता है।
विशेषज्ञों का नजरिया:
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, ‘रुपये में गिरावट के बाद भी अन्य उभरते बाजारों की तुलना में हमारा प्रदर्शन बेहतर है। बेहतर तिमाही नतीजे, अच्छे आर्थिक आंकड़े और खुदरा महंगाई में नरमी इसके कारण हैं। इस बीच, कच्चे तेल की बढ़ती कीमत, डॉलर की मजबूती और ट्रेड वार की आशंका से निवेशकों में घबराहट की स्थिति बनी है। इसे देखते हुए आने वाले दिनों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।’
एपिक रिसर्च के सीईओ मुस्तफा नदीम ने भी रुपये और कच्चे तेल से बाजार की चाल पर असर पड़ने की बात कही। टेड वार पर अमेरिका-चीन के कदम और सोमवार को प्रमुख एशियाई बाजारों की शुरुआत भी बाजार की दिशा तय करने में मददगार होगी।
बाजार में मुनाफावसूली का मौका: अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा फर्म क्रेडिट सुईस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय पूंजी बाजार सामान्य से बेहतर स्थिति में है। निवेशकों के लिए मुनाफावसूली का अच्छा मौका है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘हमारा मानना है कि बाजार बेहतर स्थिति में है। अनुमान है कि आने वाले दिनों में बिकवाली का दबाव दिख सकता है। ऐसे में भारतीय इक्विटी बाजार में निवेशकों के लिए मुनाफावसूली का मौका है।’
शीर्ष 10 में से आठ कंपनियों का एम-कैप गिरा: बाजार की शीर्ष 10 कंपनियों में से आठ के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में बीते हफ्ते 41,660 करोड़ रुपये की गिरावट आई। सबसे ज्यादा नुकसान मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज को हुआ। रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार पूंजीकरण 15,180.46 करोड़ रुपये गिरकर 7,94,074.52 करोड़ रुपये पर आ गया। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का मार्केट कैप 6,278.86 करोड़ रुपये गिरकर 7,89,949.92 करोड़ रुपये रहा। एचडीएफसी बैंक, आइटीसी, हिंदुस्तान यूनीलिवर, मारुति सुजुकी, एसबीआइ और कोटक महिंद्रा बैंक के बाजार पूंजीकरण में भी गिरावट आई। समीक्षाधीन सप्ताह में केवल एचडीएफसी लिमिटेड और इन्फोसिस के बाजार पूंजीकरण में वृद्धि हुई।
विदेशी निवेशकों ने निकाले 9,406 करोड़: भारतीय पूंजी बाजार से विदेशी निवेशकों की निकासी का दौर जारी है। सितंबर के पहले पखवाड़े में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने भारतीय पूंजी बाजार से कुल 9,406 करोड़ रुपये की निकासी की है। इसमें से 4,318 करोड़ रुपये इक्विटी बाजार से और 5,088 करोड़ रुपये डेट मार्केट से निकाले गए। पिछले दो महीनों में एफपीआइ ने भारतीय पूंजी बाजार में क्रमश: 5,200 करोड़ रुपये और 2,300 करोड़ रुपये का निवेश किया था। इससे पहले अप्रैल-जून की अवधि में विदेशी निवेशकों ने 61,000 करोड़ रुपये की निकासी की थी।