चीनी कंपनियों को दूर रखने के लिए टेंडर नियमों में बदलाव पर विचार
इंडोनेशिया की एक कंपनी के 10 हजार स्मार्ट मीटर आज तक इसलिए नहीं लगाए गए क्योंकि वे चीन में बनाए गए थे।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। एक दिन पहले ही दूरसंचार विभाग ने चीनी कंपनियों को दूर रखने का फैसला लिया है। अब माना जा रहा है कि चीन की कंपनियों को हर क्षेत्र में दूर रखने के लिए टेंडर में हिस्सा लेने के नियमों में बदलाव किया जा सकता है। यह विचार किया जा रहा है कि सिर्फ वही कंपनी टेंडर में हिस्सा ले सकेंगी जिनके पास भारत में मैन्यूफैक्चरिंग सुविधा हो और उनका भारत में सर्विस नेटवर्क हो। टेलीकॉम विभाग से लेकर रेलवे व रिन्युएबल विभाग के टेंडर में चीनी कंपनियों के हिस्सा लेने की संभावना को देखते हुए नियमों में बदलाव पर विचार शुरू हो गया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों को देखते हुए ग्लोबल टेंडर में किसी देश विशेष को हिस्सा लेने से सीधे तौर पर मना नहीं किया जा सकता है। ऐसे में, विभिन्न प्रकार की शर्तो को लगाकर ही चीन को रोका जा सकता है।बिजली मंत्रालय के अधीन काम करने वाली सरकारी कंपनी ईईएसएल के एमडी सौरभ कुमार ने बताया कि पिछले चार-पांच सालों में ईईएसएल ने लगभग 15,000 करोड़ की इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम की बल्क खरीदारी की। इस खरीदारी के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किए गए, लेकिन चीन की कोई भी कंपनी टेंडर में हिस्सा नहीं ले सकी।
कुमार के मुताबिक उनके हर टेंडर की यह शर्त होती है कि टेंडर में हिस्सा लेने वाली कंपनी के पास भारत में मैन्यूफैक्चरिंग सुविधा और सर्विस नेटवर्क हो जिनमें 80 फीसद वहां के स्थानीय लोगों की हिस्सेदारी हो। उन्होंने बताया कि ईईएसएल को सप्लाई देने के लिए फिलिप्स ने चीन में स्थापित अपनी यूनिट से 10 लाख बल्ब मंगाए जिसे ईईएसएल ने लेने से इनकार दिया।
इंडोनेशिया की एक कंपनी के 10 हजार स्मार्ट मीटर आज तक इसलिए नहीं लगाए गए क्योंकि वे चीन में बनाए गए थे। कुमार ने बताया कि सोलर पैनल और इलेक्टि्रक व्हीकल में चीन का दबदबा है, लेकिन इन दोनों आइटम से जुड़े टेंडर में भी अपनी शर्तो की वजह से चीन को दूर रखने में ईईएसएल कामयाब हो गई। टेलीकॉम, बिजली एवं रिन्युएबल क्षेत्र के टेंडर चीन की कंपनियों को हासिल होने की संभावना रहती है। देश में 62,000 मेगावाट के पावर प्लांट में चीनी उपकरण लगे हैं। वहीं सोलर पैनल भी बड़ी मात्रा में चीन से आयात किया जाता है। टेलीकॉम कंपनियों के उपकरण भी चीन से आते हैं।