Move to Jagran APP

बढ़ती लागत और कम निर्यात, दोहरी चुनौती से कैसे निपटेंगी होम टेक्सटाइल कंपनियां

Indian home textile उद्योग के राजस्व में निर्यात का हिस्सा 60-70 फीसद है जिसमें से 58 फीसद से अधिक ऑर्डर अमेरिका को भेजा जाता है। अमेरिकी बाजारों में मंदी के कारण जनवरी और अप्रैल 2022 के बीच भारत से कुल घरेलू कपड़ा निर्यात में 5-6 फीसद की गिरावट आई है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 06:16 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 08:21 AM (IST)
बढ़ती लागत और कम निर्यात, दोहरी चुनौती से कैसे निपटेंगी होम टेक्सटाइल कंपनियां
Day to Day Rising cost of home textile companies

मुंबई, पीटीआइ। निर्यात में कमी और कच्चे माल तथा परिवहन लागत में तेजी से होने वाली वृद्धि से घरेलू कपड़ा निर्माताओं की मुश्किलें बढ़ने बढ़ने वाली हैं। चालू वित्त वर्ष में उनके परिचालन लाभ में लगभग 13 प्रतिशत कमी आने की संभावना है। निर्यात में धीमी वृद्धि और कपास की ऊंची कीमतों से घरेलू कपड़ा निर्यातकों के परिचालन मार्जिन पर इस वित्त वर्ष में 150-200 बीपीएस या लगभग 13 प्रतिशत की कमी आएगी।

loksabha election banner

अमेरिकी बाजारों में मंदी

क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय होम टेक्सटाइल उद्योग के राजस्व में निर्यात का हिस्सा 60-70 फीसद है, जिसमें से 58 फीसद से अधिक ऑर्डर अमेरिका को भेजा जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि होम टेक्सटाइल की वैश्विक मांग निकट भविष्य में मुद्रास्फीति से प्रभावित होने की उम्मीद है। प्रमुख अमेरिकी बाजारों में मंदी के कारण जनवरी और अप्रैल 2022 के बीच भारत से कुल घरेलू कपड़ा निर्यात में 5-6 फीसद की गिरावट आई है।

हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से उम्मीद

रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर से कपास की नई फसल आने तक निर्यातकों के लिए यह एक चुनौती बनी रहेगी। सप्लाई चेन में रुकावट और समुद्री माल ढुलाई दरों में उतार-चढ़ाव भी कंपनियों के लाभ को प्रभावित करेगा। इसके बावजूद भी भारतीय होम टेक्सटाइल उद्योग का राजस्व चालू वित्त वर्ष में 11-12 फीसद बढ़ने की उम्मीद है। उधर घरेलू हॉस्पिटैलिटी उद्योग (domestic hospitality industry) में सुधार और स्वास्थ्य तथा स्वच्छता पर ध्यान देने से घरेलू मांग के 13 फीसद बढ़ने की उम्मीद है। यह भारतीय टेक्सटाइल उद्योग की कमाई का 30 से 40 फीसद हिस्सा है।

क्रिसिल टिंग्स के वरिष्ठ निदेशक मोहित मखीजा ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये का अवमूल्यन और वैश्विक खरीदारों द्वारा 'चीन प्लस वन' नीति को बनाए रखने से लाभ पर कुछ हद तक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में भारतीय घरेलू कपड़ा निर्यातकों के सामने डिमांड का संकट समाप्त हो सकता है और इस अवधि के बाद बाजार में उनकी हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि माल ढुलाई और कच्चे कपास की लागत में कमी आएगी और उनकी आमदनी पर दबाव घटेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.