महामारी के बाद शेयर बाजारों में उछाल अनायास नहीं, मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक में भी दिखा सुधारः सेबी चेयरमैन
पूंजी बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा है कि कोरोना महामारी के झटके के बाद पूंजी बाजारों में दिख रहा सुधार अनायास नहीं है। उन्होंने कहा कि इस दौरान सिर्फ बड़े शेयरों में ही सुधार नहीं हुआ है मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर भी सुधरे हैं।
मुंबई, पीटीआइ। पूंजी बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा है कि कोरोना महामारी के झटके के बाद पूंजी बाजारों में दिख रहा सुधार अनायास नहीं है। उनके मुताबिक इस सुधार का आधार व्यापक है। इस दौरान सिर्फ बड़े शेयरों में ही सुधार नहीं हुआ है, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर भी सुधरे हैं। सेबी प्रमुख का यह बयान शेयर बाजारों की चाल तथा अर्थव्यवस्था की स्थिति के बीच किसी तरह का तालमेल नहीं होने की आलोचनाओं के बीच आया है।
कोरोना संकट के बीच इस वर्ष की शुरुआत में पूंजी बाजारों में भारी गिरावट आई थी। लेकिन अब बाजार उससे उबर चुके हैं और इस वर्ष जनवरी के उच्च स्तर के करीब पहुंच चुके हैं। त्यागी ने कहा कि एनएसई में 90 प्रतिशत शेयरों ने इस वर्ष अब तक निवेशकों को सकारात्मक रिटर्न दिया है।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 63 लाख नए डीमैट खाते खोले गए। पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 27.4 लाख रहा था। इस तरह डीमैट खातों की संख्या में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं इस अवधि में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने भारतीय बाजार में शुद्ध रूप से 11 अरब डॉलर का निवेश किया है। वहीं अन्य उभरते बाजारों में एफपीआइ निवेश नकारात्मक रहा है। मार्च में जरूर भारतीय बाजारों से निकासी हुई थी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कुल निवेश 1.47 लाख करोड़ रुपये रहा है। त्यागी ने कहा कि सेबी ने कोरोना के दौरान जो कदम उठाए, उनसे पूंजी बाजारों को मदद मिली। नियामक आगे भी सतर्क रहेगा और बाजार में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव की स्थिति में कदम उठाएगा।
पहेली हैं स्वतंत्र निदेशक
सेबी प्रमुख ने कहा कि पिछले दो वर्षों में स्वतंत्र निदेशकों द्वारा इस्तीफा देने के मामले बढ़े हैं। इनसे कहा गया है कि यदि उन्होंने कंपनी के संचालन से जुड़ी चिंताओं के बीच इस्तीफा दिया है, तो इसकी जानकारी नियामक को दें। त्यागी की राय में कंपनियों के स्वतंत्र निदेशक एक पहेली की तरह हैं।
किसी कंपनी में स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि वे बोर्ड में छोटे शेयरधारकों की आवाज होते हैं। यदि उनमें से किसी का इस्तीफा कंपनी के कामकाज को लेकर हुआ है तो वे सार्वजनिक रूप से सब कुछ साफ-साफ बताएं। पिछले कुछ वर्षो के दौरान भारतीय कंपनियों में कई घोटाले सामने आए हैं। ऐसे में सेबी कामकाज के संचालन के मानदंडों को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है।