RBI ने दी छोटे कारोबारियों को राहत, तय कीं नई MDR दरें
जिन व्यापारियों का सालाना कारोबार 20 लाख रुपये से अधिक है उन्हें पीओएस से हुए पेमेंट के प्रत्येक ट्रांजैक्शन के लिए 0.9 प्रतिशत एमडीआर देना होगा
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के इरादे से रिजर्व बैंक ने मर्चेट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) की नई दरें तय की हैं। खुदरा कारोबारियों को अब डेबिट कार्ड पेमेंट पर प्रति ट्रांजैक्शन 0.3 से 0.9 प्रतिशत एमडीआर देना होगा। एमडीआर की अधिकतम दर 1000 रुपये होगी। हालांकि छोटे कारोबारियों को एमडीआर कम देना होगा जबकि बड़े कारोबारियों के लिए इसकी दरें अधिक होंगी। एमडीआर की नई दरें एक जनवरी 2018 से प्रभावी होंगी।
रिजर्व बैंक के मुताबिक सालाना 20 लाख रुपये टर्नओवर वाले कारोबारियों को पीओएस यानी प्वाइंट ऑफ सेल के जरिये डेबिट कार्ड से भुगतान लेने पर 0.4 प्रतिशत एमडीआर देना होगा और इसकी अधिकतम सीमा 200 रुपये होगी। वहीं क्यूआर कोड के जरिये कार्ड से भुगतान स्वीकारने पर उन्हें 0.3 प्रतिशत एमडीआर देना होगा। इस मामले में भी अधिकतम चार्ज सिर्फ 200 रुपये होगा। हालांकि रिजर्व इस कदम को डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया कदम बता रहा है। लेकिन कारोबारी मान रहे हैं कि इससे नकद भुगतान को फिर से बढ़ावा मिल सकता है।
कोई व्यापारी डेबिट कार्ड से भुगतान स्वीकार करता है तो बैंक को उसे शुल्क देना होता है। आरबीआइ के अनुसार जिन व्यापारियों का सालाना कारोबार 20 लाख रुपये से अधिक है उन्हें पीओएस से हुए पेमेंट के प्रत्येक ट्रांजैक्शन के लिए 0.9 प्रतिशत एमडीआर देना होगा। हालांकि इसकी अधिकतम सीमा 1000 रुपये होगी। इसी तरह अगर यह व्यापारी क्यूआर कोड के माध्यम से कार्ड से पेमेंट लेता है तो एमडीआर 0.80 प्रतिशत देना होगा और इसकी अधिकतम सीमा भी 1000 रुपये होगी।
व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि आरबीआइ के इस कदम से डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा नहीं मिलेगा। खंडेलवाल ने कहा कि आरबीआइ ने अपने दिशानिर्देशों में साफ कहा है कि एमडीआर का भुगतान व्यापारी को अपने पास से करना होगा। वह इसे ग्राहक से नहीं वसूल पाएगा। इसलिए व्यापारी अब कार्ड से पेमेंट्स लेना बंद कर देंगे और कैश में पेमेंट स्वीकार करेंगे। सरकार को चाहिए कि एमडीआर का बोझ वह बैंक या व्यापारी पर न डालकर खुद वहन करे।
नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन में जिस तरह बढ़ोतरी की अपेक्षा थी, वैसा परिणाम देखने को नहीं मिला। इसीलिए केंद्रीय बैंक को इस शुल्क को तर्कसंगत बनाने की जरूरत पड़ी। आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर बी. पी. कानूनगो का कहना है कि 2016-17 प्वाइंट ऑफ सेल यानी पीओएस पर डेबिट कार्ड का इस्तेमाल 21.9 प्रतिशत था। एक साल बाद भी यह आंकड़ा वहीं का वहीं है। यही वजह है कि आरबीआइ को एमडीआर चार्ज को तर्कसंगत बनाने की जरूरत पड़ी है। इससे बैंकों को राजस्व मिलेगा तो वे इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए निवेश करने को प्रोत्साहित होंगे।
नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ने पिछले साल दिसंबर में 1000 रुपये तक के कार्ड से भुगतान पर एमडीआर चार्ज की अधिकतम सीमा 0.5 प्रतिशत तथा 1000 रुपये से 2000 रुपये के ट्रांजैक्शन पर एमडीआर चार्ज 0.5 प्रतिशत तय करने का फैसला किया था। इससे पहले 2000 रुपये रुपये तक के ट्रांजैक्शन पर एमडीआर चार्ज 0.75 प्रतिशत तथा दो हजार रुपये से अधिक के ट्रांजैक्शन पर अधिकतम एक प्रतिशत एमडीआर चार्ज लगता था।