आर्थिक पैकेज के साथ ही अब RBI को है ब्याज दरों में भारी कटौती करने की जरूरत: रिपोर्ट
बाजार और अर्थशास्त्री अब इस वित्तीय वर्ष के शेष भाग में कम से कम 75 से 100 आधार अंक की कटौती ब्याज दर में होने की उम्मीद कर रहे हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत सरकार के मितव्ययी आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज ने रिजर्व बैंक पर भी इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए प्रोत्साहन देने का दबाव डाला है। वहीं, कई विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अभी तक घोषित उपायों का जल्द ही कोई सार्थक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। ऐसे में आरबीआई पर हस्तक्षेप करने का दबाव बढ़ जाता है। केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने ओर देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में हाल ही में 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है।
भारत सरकार के 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) में लिक्विडिटी को बढ़ाने पर सबसे अधिक फोकस रहा है। साथ ही पैकेज में नए सार्वजनिक खर्चों, कुछ टैक्स में छूट और मांग बढ़ाने के लिए लिक्विडिटी की मदद भी शामिल है। डीबीएस की अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा, 'सरकार के सामुहिक उपायों से एमएसएमई को तत्काल लिक्विडिटी संकट को कम करने में मदद मिलेगी, लेकिन कोरोना वायरस से प्रभावित मांग को पटरी पर लाने में पूरी मदद नहीं मिलेगी।'
कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत की विकास दर में गिरावट आई है। साथ ही मांग भी काफी गिर गई है। विश्लेषकों का कहना है कि देशव्यापी लॉकडाउन खुलने के बाद उपभोक्ता मांग में धीरे-धीरे तेजी आने की संभावना है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के सर्वे के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अप्रैल से जून माह की तिमाही साल 1990 के मध्य के बाद की सबसे खराब तिमाही साबित हो सकती है। पोल के अनुसार इस तिमाही में 5.2 फीसद का संकुचन देखने को मिल सकता है।
विश्लेषकों ने कहा है कि मांग को बढ़ावा देने का एकमात्र उपाय खपत को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों को कम करना हो सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग ने कहा, 'आने वाले समय में मुद्रास्फीति के 2 फीसद की सीमा तक तेजी से गिरने की आशंका है। इससे आरबीआई के पास ब्याज दर कम करने का अवसर होगा।' गौरतलब है कि आरबीआई ने मार्च के आखिर में अनुमान से अधिक 0.75 फीसद की कटौती ब्याज दरों में की थी। बाजार और अर्थशास्त्री अब इस वित्तीय वर्ष के शेष भाग में कम से कम 75 से 100 आधार अंक की कटौती ब्याज दर में होने की उम्मीद कर रहे हैं।