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करदाताओं को राहत, फेसलेस मूल्यांकन में जरूर मिलेगा अपनी बात रखने का मौका

अब फेसलेस मूल्यांकन के तहत करदाता को बोलने का अवसर जरूर देना होगा। पहले यह अधिकारी के विवेकाधिकार पर निर्भर करता था कि वह करदाता को बोलने का अवसर देता है या नहीं। लेकिन अब बजट 2022-23 में इसके प्रावधान में बदलाव किया गया है।

By Lakshya KumarEdited By: Published: Mon, 07 Feb 2022 09:01 AM (IST)Updated: Mon, 07 Feb 2022 12:16 PM (IST)
करदाताओं को राहत, फेसलेस मूल्यांकन में जरूर मिलेगा अपनी बात रखने का मौका
करदाताओं को राहत, फेसलेस मूल्यांकन में जरूर मिलेगा अपनी बात रखने का मौका

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पेश बजट में फेसलेस मूल्यांकन के तहत करदाताओं को राहत दी गई है। अब तक के नियम के मुताबिक, फेसलेस मूल्यांकन के तहत कर अधिकारी का यह विवेकाधिकार होता है कि वह करदाता को बोलने का अवसर देता है या नहीं है। लेकिन, बजट में इसके प्रावधान में बदलाव किया गया है। टैक्स विशेषज्ञ और सीए असीम चावला ने बताया कि दो साल पहले जब फेसलेस मूल्यांकन लागू किया गया तो उसके बाद कई करदाता इस बात को लेकर अदालत चले गए कि उन्हें अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया जा रहा है और उन्हें भी सुना जाना चाहिए।

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चावला के अनुसार, इसे ध्यान में रखते हुए ही जिन करदाताओं के खिलाफ प्रत्यक्ष कर का फेसलेस मामला चल रहा है, उन्हें अपनी बात को अधिकारी के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रखने में सक्षम बनाने के लिए ऐसा किया गया है। अब वह अपनी बात को अधिकारी के सामने सामने रख सकेंगे। चावला ने बताया कि केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर के कर मामले और छापेमारी के मामले में शारीरिक रूप से उपस्थित होने की इजाजत है।

बजट में मुकदमों को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। टैक्स विशेषज्ञ के मुताबिक, अगर किसी मामले में पहले से विभाग ने हाईकोर्ट या ट्रिब्यूनल में अपील दायर कर रखी है और समान मुद्दे पर किसी और वादी के साथ निचली अदालत का फैसला आता है तो ऐसे में प्रत्यक्ष कर विभाग के बड़े अधिकारियों का एक कॉलेजियम यह फैसला लेगा कि उन्हें अपील दाखिल करना है या नहीं। इससे मुकदमों की संख्या में कमी है।

हालांकि, अभी कॉलेजियम का गठन नहीं हुआ है लेकिन, अगले दो-तीन महीनों में इस कॉलेजियम का गठन हो जाएगा। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण 2019 में र्इ-मूल्यांकन का ऐलान किया था, जिसके बाद आयकर विभाग ने अक्टूबर 2019 में इसे लागू कर दिया था और तभी से यह चलता आ रहा है।


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