चीनी के वैश्विक उत्पादन में कमी, भारत से निर्यात मांग बढ़ने से मंदी झेल रही चीनी मिलों को मिलेगी राहत
चालू पेराई सीजन अब अंतिम दौर में है जिसके तहत 29 फरवरी तक 68 मिलों में पेराई बंद हो चुकी है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। चीनी के वैश्विक उत्पादन में आई कमी से पिछले कई सीजन से मंदी झेल रहे घरेलू चीनी उद्योग को निर्यात मांग की संजीवनी मिली है। इससे घरेलू जिंस बाजार में भी चीनी के मूल्य में वर्षो बाद तेजी से आसार हैं। इससे गन्ना किसानों के बकाया भुगतान की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। घरेलू चीनी उद्योग निर्यात को लेकर उत्सुक है, जिसे सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है।
अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन (आईएसओ) के मुताबिक चालू वर्ष 2019-20 में चीनी का वैश्विक उत्पादन 16.67 करोड़ टन होगा, जबकि कुल मांग 17.61 करोड़ टन है। इस तरह की कुल 94.4 लाख टन की कमी बनी रहने से वैश्विक बाजार में चीनी के मूल्य में तेजी का रुख रहेगा। भारत में भी चीनी के उत्पादन में 22 फीसद तक की कमी आ सकती है, लेकिन स्टॉक अधिक होने की वजह से घरेलू खपत को पूरा करने में कोई खास दिक्कत आने की संभावना नहीं है।
घरेलू जिंस बाजार के जानकारों की मानें तो चीनी के निर्यात और स्टॉक घटने की खबरों का असर घरेलू चीनी बाजार पर पड़ना तय है, जिससे कीमतें बढ़नी तय है। चीनी उद्योग को इससे बहुत राहत मिलेगी। पिछले तीन सालों से चीनी उद्योग गंभीर नगदी संकट के दौर से गुजर रहा है, जिससे गन्ना किसानों का भुगतान तक संभव नहीं हो पा रहा है। चालू सीजन 2019-20 में देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का 8142 करोड़ रुपये बकाया हो गया है। चीनी बाजार के ताजा आंकड़ों को देखते हुए चीनी उद्योग काफी उत्साहित है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक अब तक कुल 35 लाख टन चीनी का निर्यात सौदा हो चुका है। जबकि 22 लाख टन चीनी विदेशों को भेजी जा चुकी है। संगठन को उम्मीद है कि चालू चीनी वर्ष में कुल 50 लाख टन चीनी निर्यात करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। इंडोनेशिया समेत कई देशों से भारत से चीनी आयात करने की इच्छा जाहिर की है।
चालू पेराई सीजन अब अंतिम दौर में है, जिसके तहत 29 फरवरी तक 68 मिलों में पेराई बंद हो चुकी है। 453 मिलों में अब तक कुल 1.95 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। जबकि पिछले साल अब तक 2.49 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ था। देश में उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी सभी चीनी उत्पादक राज्यों में उत्पादन घट गया है। हालांकि चीनी का कैरीओवर स्टॉक 1.45 करोड़ टन है, जो अब तक का सबसे ज्यादा है। इसीलिए सरकार भी चीनी स्टॉक को निर्यात के माध्यम से घटाने का प्रयास कर रही है।