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डेढ़ साल में हुई NPA की रिकॉर्ड वसूली, सुधार के कदमों से सरकारी बैंकों की हालत लगातार हो रही बेहतर

वित्त मंत्री सीतारमण ने रिजर्व बैंक की ओर से दिसंबर में जारी बैंकिंग ट्रेंड रिपोर्ट के हवाले से बताया कि बैंकों की स्थिति में उतार-चढ़ाव के लिए वृहद आर्थिक स्थितियां जिम्मेदार हैं।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 08:11 AM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 01:10 PM (IST)
डेढ़ साल में हुई NPA की रिकॉर्ड वसूली, सुधार के कदमों से सरकारी बैंकों की हालत लगातार हो रही बेहतर
डेढ़ साल में हुई NPA की रिकॉर्ड वसूली, सुधार के कदमों से सरकारी बैंकों की हालत लगातार हो रही बेहतर

नई दिल्ली, पीटीआइ। देश में सरकारी बैंकों की हालत सुधारने की दिशा में सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों का असर दिखने लगा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि सितंबर, 2019 के आखिर तक सरकारी बैंकों का फंसा कर्ज यानी एनपीए 7.27 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर आ गया था। मार्च, 2018 के आखिर में यह 8.96 लाख करोड़ रुपये था।

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लोकसभा में लिखित उत्तर में वित्त मंत्री ने बताया, ‘सरकारी बैंकों की स्थिति बेहतर करने के लिए सरकार ने सुधारों का पूरा खाका तैयार किया है। इनमें गवर्नेस सुधार, अंडर राइटिंग, मॉनिटरिंग और रिकवरी पर भी सरकार का जोर है। बैंकिंग व्यवस्था के हर स्तर पर टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे बैंकों का एनपीए कम हुआ है। सितंबर, 2019 से पीछे डेढ़ साल में 2.03 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड रिकवरी हुई है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 18 में से 12 सरकारी बैंक मुनाफे में रहे हैं। बैंकों का प्रॉविजन कवरेज रेश्यो भी साढ़े सात साल के उच्चतम स्तर पर है।’

वित्त मंत्री सीतारमण ने रिजर्व बैंक की ओर से दिसंबर में जारी बैंकिंग ट्रेंड रिपोर्ट के हवाले से बताया कि बैंकों की स्थिति में उतार-चढ़ाव के लिए वृहद आर्थिक स्थितियां जिम्मेदार हैं। वित्त मंत्री ने कहा, ‘इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) के तहत रिजॉल्यूशन प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में सरकार ने कई कदम उठाए हैं। क्रेडिट उपलब्धता सुनिश्चित करने और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की स्थिति में सुधार के लिए भी पहल की गई है। सरकार के कदमों का असर चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही और अगले वित्त वर्ष में दिखेगा।’

कर्ज देने को लेकर बैंकों के भरोसे के बारे में सीतारमण ने कहा कि डिफॉल्ट और धोखाधड़ी के कुछ मामलों ने बैंकों के आत्मविश्वास को कमजोर किया है। हालांकि इस मामले में बैंकों की चिंता दूर करने के लिए भी सरकार कदम उठा रही है। वित्त मंत्री सीतारमण ने सरकारी बैंकों के कामकाज और प्रबंधन में सुधार की दिशा में उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया।


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