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Coronavirus के कारण दुनिया को 2009 से भी बड़े आर्थिक संकट का करना पड़ सकता है सामना: IMF

IMF चीफ Kristalina Georgieva ने सोमवार को कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के यलते वैश्विक अर्थव्यवस्था एक बड़े आर्थिक नुकसान का सामना कर रही है

By Manish MishraEdited By: Published: Tue, 24 Mar 2020 01:57 PM (IST)Updated: Wed, 25 Mar 2020 07:27 AM (IST)
Coronavirus के कारण दुनिया को 2009 से भी बड़े आर्थिक संकट का करना पड़ सकता है सामना: IMF
Coronavirus के कारण दुनिया को 2009 से भी बड़े आर्थिक संकट का करना पड़ सकता है सामना: IMF

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन की स्थिति है। इन देशों में औद्योगिक गतिविधियां ठप हो गई है। जिसके चलते अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। आईएमएफ चीफ Kristalina Georgieva ने सोमवार को कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था एक बड़े आर्थिक नुकसान का सामना कर रही है, जो कि साल 2009 के नुकसान से भी अधिक बड़ा हो सकता है। आईएमएफ ने कहा कि इससे निपटने के लिए अभूतपूर्व कदम उठाने की जरूरत है।

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आईएमएफ चीफ ने बड़े स्तर पर आर्थिक संकट का सामना कर रहे निम्न आय वाले देशों को अधिक मदद मुहैया कराने के लिए एडवांस इकोनॉमिक्स की जरूरत बताई। साथ ही उन्होंने कहा कि आईएमएफ अपनी एक ट्रिलियन डॉलर की लेंडिंग कैपेसिटी के साथ ऋण देने के लिए तैयार है। आईएमएफ चीफ ने वित्त मंत्रियों को साल 2020 के आउटलुक के लिए चेताया है। उन्होंने कहा कि मंदी इतनी बुरी है, जितनी वैश्विक वित्तीय संकट के समय होती है।  

साल 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के परिणामस्वरूप साल 2009 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 0.6 फीसद की गिरावट आई थी, लेकिन चीन और भारत जैसी अर्थव्यवस्थाएं उस समय भी तेजी से ग्रोथ कर रही थीं। अभी के परिदृश्य में कोरोना वायरस महामारी से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान हो रहा है और बड़ी संख्या में लोगों की जान जा रही हैं। साथ ही कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि गिरावट 1.5 फीसद तक हो सकती है।

आईएमएफ चीफ ने कहा, 'कोरोना वायरस महामारी से होने वाली मौतों का अनुमान लगाना अभी संभव नहीं है। यह बहुत बड़ी संख्या हो सकती है। लोगों की जान बचाने और अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान को सीमित करने के लिए सभी देशों को साथ काम करने की जरूरत है।'

हालांकि, उभरते बाजारों और कम आय वाले देश बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं और उन्हें अतिरिक्त वित्तीय मदद और कर्ज में राहत की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, 'इस संकट की शुरुआत से निवेशक उभरते बाजारों से 83 बिलियन डॉलर निकाल चुके हैं। यह रिकॉर्ड कैपिटल आउटफ्लो है।'


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