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बड़ी अदालतों में फंसी रियल्टी सेक्टर की परियोजनाओं को नहीं मिलेगा बूस्टर डोज का फायदा

यह सुविधा ऐसी परियोजनाओं के लिए है जो फंड की कमी की वजह से अटकी हैं एनपीए के अंतर्गत आ गई हैं या एनसीएलटी में सुधारात्मक कार्रवाई का सामना कर रही हैं।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 09:42 AM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 09:42 AM (IST)
बड़ी अदालतों में फंसी रियल्टी सेक्टर की परियोजनाओं को नहीं मिलेगा बूस्टर डोज का फायदा
बड़ी अदालतों में फंसी रियल्टी सेक्टर की परियोजनाओं को नहीं मिलेगा बूस्टर डोज का फायदा

नई दिल्ली, पीटीआइ। रियल्टी सेक्टर में आई सुस्ती को दूर करने लिए बूस्टर डोज की घोषणा के बाद सरकार ने साफ किया है कि बड़ी अदालतों में फंसी परियोजनाओं को इसका लाभ नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा किसी एक परियोजना को अधिकतम 400 करोड़ रुपये का फंड ही मिलेगा। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआइएफ) ऐसी किसी परियोजना में निवेश नहीं करेगा, जो हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में किसी मुकदमे का सामना कर रही है।

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मंत्रालय ने कहा कि यह सुविधा ऐसी परियोजनाओं के लिए है, जो फंड की कमी की वजह से अटकी हैं। इस दौरान उन परियोजनाओं पर भी गौर किया जाएगा, जो एनपीए के अंतर्गत आ गई हैं या एनसीएलटी में सुधारात्मक कार्रवाई का सामना कर रही हैं। इसके लिए शर्त होगी कि इस तरह की परियोजना फंड मिलते ही तुरंत शुरू होने की हालत में होनी चाहिए।

इसके अलावा वे प्रोजेक्ट जो अंतिम चरण में अटके हैं यानी जिनका निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है, उनको प्राथमिकता दी जाएगी। यह फंड करीब 16 हजार रुकी हुई परियोजनाओं को फिर से शुरू करने के लिए प्रयोग किया जाएगा। इस दौरान करीब 4.58 लाख घरों का निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा। 

एआइएफ में सरकार 10 हजार करोड़ रुपये और एसबीआइ व एलआइसी बाकी 15 हजार करोड़ रुपये का योगदान देंगे। योजना के मुताबिक, आगे चलकर इस कोष में सरकार और पेंशन फंडों की भागीदारी बढ़ाकर फंड का आकार बढ़ाया जाएगा। इसे सेबी में पंजीकृत किया गया है, जिसके प्रबंधन की जिम्मेदारी एसबीआइ कैप को सौंपी गई है।


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