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पांच लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देंगी रियल एस्टेट कंपनियां, नरेडको ने मुख्‍यमंत्रियों को लिखा पत्र

सिर्फ नोएडा-ग्रेटर नोएडा के आसपास के प्रोजेक्ट के लिए 2.5 लाख श्रमिकों को रोजगार देने की तैयारी चल रही है।

By Manish MishraEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 09:37 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 06:35 PM (IST)
पांच लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देंगी रियल एस्टेट कंपनियां, नरेडको ने मुख्‍यमंत्रियों को लिखा पत्र
पांच लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देंगी रियल एस्टेट कंपनियां, नरेडको ने मुख्‍यमंत्रियों को लिखा पत्र

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रियल एस्टेट कंपनियों को लाखों प्रवासी कामगार की जरूरत है। सिर्फ नोएडा-ग्रेटर नोएडा के आसपास के प्रोजेक्ट के लिए 2.5 लाख श्रमिकों को रोजगार देने की तैयारी चल रही है। हरियाणा में रुके पड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के लिए एक लाख से अधिक श्रमिकों की जरूरत है। वहीं मुंबई और पुणे के प्रोजेक्ट के लिए कम से कम दो लाख श्रमिकों की तत्काल जरूरत है। रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन नरेडको की तरफ से इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के संबंध में पत्र भी लिखे गए हैं।

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नरेडको ने रियल एस्टेट कंपनियों की नकदी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार से उनके कर्ज को अगले दो साल के लिए रिस्ट्रक्चर करने की मांग की है। उत्तर प्रदेश नरेडको के अध्यक्ष आर. के. अरोड़ा ने बताया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर 2.5 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने की पेशकश की है।

उन्होंने बताया कि नरेडको की तरफ से भेजे गए पत्र में यह भी जिक्र किया गया है कि उन्हें 48,000 राजमिस्त्री, 1,05,000 गैर प्रशिक्षित श्रमिक और 22,000 शटरिंग कारपेंटर चाहिए। इस प्रकार से रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में काम करने वाले हर तरह के श्रमिकों की जरूरत बताई गई है। अरोड़ा ने बताया कि रियल एस्टेट कंपनियां रोजगार के लिए आने वाले सभी श्रमिकों के लिए रहने का इंतजाम साइट के पास ही कर रही हैं।

नरेडको के वाइस चेयरमैन प्रवीन जैन ने बताया कि उत्तर प्रदेश के साथ हरियाणा व महाराष्ट्र के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के लिए भी संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखे गए हैं। उत्तर प्रदेश और हरियाणा में श्रमिकों के मिलने की उम्मीद है, लेकिन महाराष्ट्र में फिलहाल प्रवासी श्रमिकों की भारी कमी दिख रही है। उन्होंने बताया कि रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में अलग-अलग प्रकार के काम के लिए अलग-अलग श्रमिक होते हैं। सभी प्रकार के श्रमिकों के मौजूद होने के बाद ही पूरी तरह से काम शुरू हो सकता है। अभी श्रमिकों की कमी के कारण अधिकतम 30 फीसद क्षमता से काम हो पा रहा है।

नरेडको के मुताबिक अभी पुराने प्रोजेक्ट को पूरा करना ही कंपनियों की प्राथमिकता है। जैन ने बताया कि अभी मकानों की कीमत 2012 वाले स्तर पर है जबकि कच्चे माल के दाम पिछले आठ सालों में काफी बढ़ गए हैं। बाजार में अगले छह महीने तक मांग निकलने की कोई उम्मीद नहीं की जा रही है।


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