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मध्य वर्ग की कटेगी जेब

रुपये की बेलगाम गिरावट मध्यवर्गीय लोगों की जेब पर भारी पड़ने वाली है। उद्योग संगठन एसोचैम के एक सर्वे के मुताबिक भारतीय मुद्रा की कमजोरी से ईधन, खाद्य तेल, मोबाइल, कंप्यूटर सहित विभिन्न जरूरी उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के आसार हैं। वहीं लोगों को होटल-रेस्त्रा में खाने-पीने, ब्रांडेड उत्पाद और नई कार खरीदने जैसे खर्चो पर क

By Edited By: Published: Fri, 21 Jun 2013 01:17 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
मध्य वर्ग की कटेगी जेब

नई दिल्ली। रुपये की बेलगाम गिरावट मध्यवर्गीय लोगों की जेब पर भारी पड़ने वाली है। उद्योग संगठन एसोचैम के एक सर्वे के मुताबिक भारतीय मुद्रा की कमजोरी से ईधन, खाद्य तेल, मोबाइल, कंप्यूटर सहित विभिन्न जरूरी उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के आसार हैं। वहीं लोगों को होटल-रेस्त्रा में खाने-पीने, ब्रांडेड उत्पाद और नई कार खरीदने जैसे खर्चो पर कैंची चलानी पड़ेगी।

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सर्वे में कहा गया है कि रुपये की गिरावट का महानगरों और बड़े शहरों के उपभोक्ताओं पर काफी ज्यादा असर पड़ेगा। छोटे शहरों और कस्बों पर तुलनात्मक रूप से इसका असर कम रहेगा। सर्वे में शामिल किए गए 92 फीसद लोगों का कहना है कि रुपये की कमजोरी से उनके मासिक खर्च में पिछले एक महीने में 15 से 20 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। मध्य और निचले वर्ग के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इस सर्वे में दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, चंडीगढ़, देहरादून और अन्य शहरों के लोगों को शामिल किया गया है।

संगठन के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि सोने का आयात घटाने के सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद मध्य वर्ग अपनी सामाजिक जरूरतों को दरकिनार नहीं कर पा रहा है। सोने की ऊंची कीमत के बावजूद इसकी खरीददारी जारी है। रुपये में कमजोरी से कच्चे तेल, उवर्रकों और लौह अयस्क की कीमतों में वृद्धि होगी। भारत में इन सभी चीजों का बड़े पैमाने पर आयात होता है। इनकी कीमतों में बढ़ोतरी से न केवल रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी बल्कि वित्ताीय क्षेत्र पर भी इसका अप्रत्यक्ष असर पड़ेगा। पाम ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी से खाद्य तेलों में तेजी की शुरूआत हो गई है। खाद्य तेलों का भी भारत में बड़ी मात्रा में आयात किया जाता है। इनकी कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई और बढ़ेगी।

आप पर असर:-

-ब्याज दरों में रियायत की उम्मीद टूटी यानी कर्ज रहेगा महंगा

-विदेश में पढ़ाई और यात्रा के लिए करना होगा ज्यादा भुगतान

-आयातित ईधन से बिजली कंपनियों पर पड़ेगा बोझ, बढ़ाएंगी बिजली दरें

-उद्योगों की आयात पर निर्भरता से महंगाई दर में एक फीसद की वृद्धि संभव

-ऑटोमोबाइल और कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियां बढ़ाएंगी कीमत

-विमान ईधन की कीमत बढ़ने से हवाई किराया हो सकता है महंगा


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