आरबीआई के नए एनपीए मानदंड बैंक की कमाई को कर सकते है प्रभावित: फिच
बैंकों को साप्ताहिक आधार पर ऐसे कर्जदारों की सूची देनी होगी, जिन्होंने लोन डिफाल्ट किया होगा
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। रिजर्व बैंक की ओर से बैड लोन से निपटने के लिए अपनाई जाने वाली प्रणाली में सुधार के लिए नए मापदंडों का उद्देश्य एनपीए संकल्प को गति देना है, लेकिन यह निकट अवधि में बैंकिंग सेक्टर की कमाई को कमजोर करेगी। यह बात क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने कही है।
हालांकि, राज्य के बैंकों के नियोजित पुनर्पूंजीकरण के साथ बैड लोन की समस्याओं को सुलझाने के लिए मजबूत विनियामक प्रयास मध्यम अवधि के दौरान सेक्टर में वसूली का समर्थन करने में मददगार हो सकते हैं। अमेरिकी एजेंसी की ओर से जारी किए गए एक बयान में यह जानकारी सामने आई है। एनपीएल स्टॉक के सुस्त रेजोल्यूशन के संबंध में विनियामक की व्याकुलता में तेज इजाफा दिखाई देता है, जिससे कि नॉन परफार्मिंग लोन साइकिल में विस्तार आ जाता है।
फिच, जिसने बैंकिंग सेक्टर की रेटिंग को नेगेटिव आउटलुक में रखा है बताया, “एनपीएल के प्रस्ताव को गति देने के नए मानदंडों का उद्देश्य भारत के बैंकों की क्रेडिट की लागत को आगे बढ़ाना है और इससे निकटतम अवधि में कमाई घटने की संभावना है। बैंकों को साप्ताहिक आधार पर ऐसे कर्जदारों की सूची देनी होगी, जिन्होंने लोन डिफाल्ट किया होगा, यह बैड एसेट्स पर नजर रखने के लिए आक्रामक दृष्टिकोण का संकेत है।”
बैंकों के साथ बैड लोन से निपटने के लिए समय-सीमा को भी निर्धारित किया गया है, उधार लेने वालों को 180 दिनों के भीतर लोन की राशि का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा सकता है या फिर मामले को दिवालिया अदालत में ले जाया जा सकता है।