नोटबंदी के बाद बैंकिंग प्रणाली से नकदी खींचेगा आरबीआई, बैंकों को रखना होगा ज्यादा कैश रिजर्व
नोटबंदी के बाद बैंकिंग प्रणाली में बढ़ी नकदी को खींच लेने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को उसके पास अतिरिक्त राशि रखने के लिए कहा है
मुंबई (जागरण ब्यूरो): नोटबंदी के बाद बैंकिंग प्रणाली में बढ़ी नकदी को खींच लेने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को उसके पास अतिरिक्त राशि रखने के लिए कहा है। केंद्रीय बैंक ने शनिवार से एक पखवाड़े के लिए 100 फीसद वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) लागू किया है। आरबीआइ के अनुसार बैंकों को 16 सितंबर और 11 नवंबर के बीच कुल मांग और मियादी देनदारियों (एनडीटीएल) के आधार पर 100 फीसद इंक्रीमेंटल सीआरआर बनाए रखना होगा। यानी यह आदेश सिर्फ अतिरिक्त जमाराशियों पर ही लागू होगा। बकाया एनडीटीएल पर चार फीसद सीआरआर बना रहेगा। केंद्रीय बैंक इंक्रीमेंटल सीआआर की नौ दिसंबर को समीक्षा करेगा। उसने कहा है कि आने वाले पखवाड़े में बैंकिंग प्रणाली में अतिरिक्त नकदी की मात्र बढ़ेगी। इसे देखते हुए आरबीआइ ने इंक्रीमेंटल सीआरआर लागू कर इस अतिरिक्त लिक्विडिटी का कुछ हिस्सा खींच लेने का फैसला किया है।
क्या है सीआरआर:
नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर वह राशि है जिसे बैंकों को अपनी जमा राशियों के एवज में रिजर्व बैंक के पास रखना पड़ता है।
क्या हैं इसके मायने
आरबीआइ ने नई व्यवस्था 16 सितंबर से 11 नवंबर के बीच बैंकों में आई जमा के आधार पर लागू की है। इसके आधार पर शनिवार से अगले एक पखवाड़े तक बैंकों में जमा अतिरिक्त राशि पर यह व्यवस्था लागू होगी। 100 फीसद इंक्रीमेंटल सीआरआर का मतलब यह हुआ कि इस दौरान जमा हुई अतिरिक्त राशि बैंकों को आरबीआइ के हवाले करनी पड़ेगी। यानी इस जमा के आधार पर वे कर्ज नहीं बांट सकेंगे। हालांकि बाकी जमा राशियों पर सामान्य सीआरआर की दर चार फीसद है।