RBI ने कहा- और गंभीर होगी बैंकों के फंसे कर्ज की समस्या
आरबीआइ ने एक चिंताजनक संकेत यह दिया है कि बैंकों में नए एनपीए बनेंगे क्योंकि ग्लोबल अर्थव्यवस्था में अस्थिरता गहराने के आसार हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। फंसे कर्जे यानी एनपीए के मकड़जाल में फंसे बैंकों को फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। आरबीआइ की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के दौरान भी सरकारी बैंकों के एनपीए में खासी बढ़ोतरी हो सकती है। आरबीआइ ने एक चिंताजनक संकेत यह दिया है कि बैंकों में नए एनपीए बनेंगे क्योंकि ग्लोबल अर्थव्यवस्था में अस्थिरता गहराने के आसार हैं। रिपोर्ट में मार्च 2018 तक भारतीयों बैंकों के एनपीए कुल कर्जो के मुकाबले 12.1 फीसद बताया गया है।
हालांकि पिछले तीन-चार वर्षो के दौरान एनपीए में वृद्धि के लिए बैंकों में छिपा एनपीए घोषित करने की पारदर्शी नीति को जिम्मेदार बताया गया है। इसकी वजह से मार्च, 2015 में सभी बैंकों का सकल एनपीए 3,23,464 करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च, 2018 में 10,35,528 करोड़ रुपये हो चुका है। इस दौरान सरकारी बैंकों के एनपीए में 6.2 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
एनपीए पर आरबीआइ की यह चेतावनी तब आयी है जब यह मामला कोर्ट से लेकर वित्त मंत्रालय तक में छाया हुआ है। वित्त मंत्रालय की संसदीय समिति ने तो एनपीए वृद्धि के लिए परोक्ष तौर पर आरबीआइ को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्ज पर केंद्रीय बैंक पूरी मुस्तैदी से नजर नहीं रख सका। बहरहाल केंद्रीय बैंक की सालाना रिपोर्ट के संकेत साफ है कि सरकारी बैंकों के लिए मुनाफे की राह पर लौटना अभी मुश्किल है।
बिजली कंपनियों को राहत देने पर कमेटी फैसला करेगी
आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग ने कहा है कि उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी इस बारे में फैसला करेगी कि बिजली कंपनियों को दिवालिया प्रक्रिया से राहत देने के लिए आरबीआइ एक्ट के सेक्शन-7 के तहत सरकार अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करेगी या नहीं।
उन्होंने बताया कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी इस पर फैसला करेगी। गर्ग की यह टिप्पणी मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के बयान के बाद आई है। जिसमें अधिकारी ने बिजली क्षेत्र के एनपीए के समाधान के लिए केंद्र सरकार की ओर से विशेष शक्तियों के तहत रिजर्व बैंक को निर्देश दिए जाने की संभावना से इन्कार किया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निजी क्षेत्र के बिजली उत्पादकों की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने रिजर्व बैंक के 12 फरवरी के सकरुलर पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। इस सर्कुलर में रिजर्व बैंक ने बैंकों को 27 अगस्त तक छह माह की अवधि में इन दबावग्रस्त परिसंपत्तियों का समाधान करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट ने दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का आदेश देते हुए यह जरूर कहा था कि केंद्र सरकार इन कंपनियों को राहत देने के लिए बात करके 15 दिनों के भीतर कोई रास्ता निकाले।