निर्देश न मानने वाले बैंकों के ऑडिटरों पर होगी कार्रवाई
यदि किसी एसए द्वारा किए गए ऑडिट की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं मिली तो उन्हें निश्चित अवधि तक बैंकों के ऑडिट की अनुमति नहीं मिलेगी
नई दिल्ली(बिजनेस डेस्क)। निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में घोटालों पर लगाम लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने और सख्ती की तैयारी की है। एक के बाद एक सामने आ रहे लोन से जुड़े घोटालों को देखते हुए केंद्रीय बैंक ने अब बैंक ऑडिटरों पर भी कार्रवाई की तैयारी की है।
शुक्रवार को जारी सर्कुलर में रिजर्व बैंक ने वैधानिक ऑडिटरों (एसए) को चेताया है कि निर्देशों का पालन नहीं करने की स्थिति में उन्हें दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उन्हें बैंकों के साथ काम करने से भी रोका जा सकता है। रिजर्व बैंक ने बताया कि ऑडिट की गुणवत्ता सुधारने और वैधानिक ऑडिटरों की जवाबदेही तय करने की पारदर्शी व्यवस्था बनाने के लिए प्रवर्तन कार्रवाई का फ्रेमवर्क तैयार करने का फैसला किया गया है। नए फ्रेमवर्क में रिजर्व बैंक की जांच और बैंक के फाइनेंशियल स्टेटमेंट में एसेट क्लासिफिकेशन व प्रोविजनिंग में अंतर के मामलों को शामिल किया गया है। एक तय सीमा से अधिक का अंतर पाए जाने पर कार्रवाई होगी।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि बैंक के फाइनेंशियल स्टेटमेंट में बाजार का भरोसा मजबूत करने वाले गुणवत्तापूर्ण ऑडिट से बैंकों की वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव पड़ता है। साथ ही बैंकों पर रिजर्व बैंक की निगरानी में भी इसकी अहम भूमिका रहती है। सर्कुलर के मुताबिक, यदि किसी एसए द्वारा किए गए ऑडिट की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं मिली तो उन्हें निश्चित अवधि तक बैंकों के ऑडिट की अनुमति नहीं मिलेगी। अन्य नियामकों, सरकारी एजेंसियों या प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा प्रतिबंधित ऑडिटरों को भी बैंकों के ऑडिट की मंजूरी नहीं दी जाएगी।1नए फ्रेमवर्क के तहत ऑडिट के दौरान वित्तीय स्थिति की सही जानकारी नहीं देने, गलत प्रमाणपत्र देने, ऑडिट रिपोर्ट में गलत जानकारी देने या ऑडिट के दौरान रिजर्व बैंक के किसी भी निर्देश का पालन नहीं करने की स्थिति में ऑडिटरों पर दंडात्मक कार्रवाई होगी।
ध्यान देने की बात है कि हाल में बोर्ड द्वारा मंजूर नियमों के उल्लंघन के मामलों में विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों ने छह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के वर्तमान और पूर्व सीएमडी, एमडी और सीईओ को गिरफ्तार किया है। निजी क्षेत्र के आइसीआइसीआइ बैंक की प्रमुख चंदा कोचर भी वीडियोकॉन समूह को दिए गए 3,250 करोड़ रुपये के लोन के मामले में आरोपों का सामना कर रही हैं।