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इलाहाबाद, कॉरपोरेशन और धनलक्ष्मी बैंक RBI की निगरानी से बाहर, अब दे सकेंगे कर्ज

अर्थव्यवस्था में क्रेडिट इनफ्लो को बढ़ाने के लिए सरकार आरबीआई से पीसीए निगरानी में ढील देने की मांग कर रही थी।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Tue, 26 Feb 2019 06:55 PM (IST)Updated: Thu, 28 Feb 2019 08:34 AM (IST)
इलाहाबाद, कॉरपोरेशन और धनलक्ष्मी बैंक RBI की निगरानी से बाहर, अब दे सकेंगे कर्ज
इलाहाबाद, कॉरपोरेशन और धनलक्ष्मी बैंक RBI की निगरानी से बाहर, अब दे सकेंगे कर्ज

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने तीन और बैंकों को कड़ी निगरानी के दायरे से बाहर कर दिया है, जिनके कर्ज देने और नए ब्रांच खोलने पर प्रतिबंध लगा हुआ था।

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आरबीआई की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, '26 फरवरी को हुई बैठक में पीसीए निगरानी सूची में रखे गए बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा की गई और पाया गया कि 21 फरवरी को सरकार की तरफ से दी गई नई पूंजी के बाद इलाहाबाद और कॉरपोरेशन बैंक के कैपिटल फंड्स में इजाफा हुआ है, जो अनिवार्य नियामकीय पूंजी से अधिक है।' इसलिए आरबीआई ने इन दोनों बैंकों को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) की निगरानी से बाहर करने का फैसला लिया है।

इसके साथ ही धनलक्ष्मी बैंक को भी इस सूची से बाहर किया जा रहा है। आरबीआई आगे भी इन बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा करता रहेगा। सरकार ने हाल ही में इलाहाबाद बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को पीसीए से बाहर करने के संकेत दिए थे।

सरकारी बैंकों को पूंजीगत मदद देने की योजना के तहत वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान 12 बैंकों को 48,239 करोड़ रुपये देने का फैसला किया था। इसकी घोषणा करते हुए वित्तीय मामलों के सचिव राजीव कुमार ने कहा कि था कि सरकार ने कॉरपोरेशन बैंक को 9,086 करोड़ रुपये जबकि इलाहाबाद बैंक को 6,896 करोड़ रुपये देने का फैसला लिया है।

उन्होंने कहा था कि यह दोनों बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की पीसीए निगरानी में ''बेहतर प्रदर्शन'' कर रहे हैं।

गौरतलब है कि पूंजीगत सहायता से बैंकों को अनिवार्य नियामकीय पूंजी के स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है। पिछले महीने ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को पीसीए (प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन) से बाहर कर दिया था।

कुल 21 सरकारी बैंकों में से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 11 बैंकों को पीसीए में डाल दिया था, जिसके बाद इनके लोन देने और नए ब्रांच खोलने पर रोक लग गई थी। पीसीए में डालने की वजह इन बैंकों का बढ़ता एनपीए और घाटा था। अर्थव्यवस्था में क्रेडिट इनफ्लो को बढ़ाने के लिए सरकार आरबीआई से पीसीए निगरानी में ढील देने की मांग कर रही थी।

यह भी पढ़ें:  12 सरकारी बैंकों को सरकार ने दिए 48,239 करोड़ रुपये


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