देना बैंक के कर्ज देने और नई भर्ती पर RBI ने लगाई पाबंदी
शेयर बाजार को दी जानकारी में बैंक ने बताया कि रिजर्व बैंक ने एनपीए के ऊंचे स्तर के चलते उसके खिलाफ पीसीए की शुरुआत की है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। फंसे कर्ज यानी एनपीए के बढ़े स्तर के चलते रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के देना बैंक के खिलाफ त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए-प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन) की शुरुआत की है। अब बैंक को नए कर्ज देने और नई भर्ती करने में कई पाबंदियों का सामना करना पड़ेगा।
शेयर बाजार को दी जानकारी में बैंक ने बताया कि रिजर्व बैंक ने एनपीए के ऊंचे स्तर के चलते उसके खिलाफ पीसीए की शुरुआत की है। इस संबंध में सात मई, 2018 को रिजर्व बैंक ने देना बैंक को पत्र भेजा था। इसमें नया कर्ज देने और नए कर्मचारियों की भर्ती पर बंदिशें लगाई गई हैं। देना बैंक की 11 मई को हुई बोर्ड बैठक में इस पर चर्चा की गई।
मार्च, 2018 के अंत तक देना बैंक का सकल एनपीए उसके सकल ऋण के 22.4 फीसद पर पहुंच गया था। एक साल पहले यह .27 फीसद के स्तर पर था। गणना के आधार पर बैंक का एनपीए 12,618.73 करोड़ रुपये से बढ़कर ,361.44 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। बैंक का शुद्ध एनपीए भी 10.66 फीसद से बढ़कर 11.95 फीसद पर पहुंच गया। शुद्ध एनपीए 7,838.78 करोड़ रुपये रहा। एक साल पहले यह 7,735.12 करोड़ रुपये था।
देना बैंक का बढ़ा घाटा
वित्त वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में देना बैंक का घाटा बढ़कर 1225.42 करोड़ रुपये के स्तर पर आ गया है। कंपनी को घाटा बैड लोन और इन्हें कवर करने के लिए हायर प्रोविजनिंग के चलते देखने को मिला है। बीते वर्ष की समान अवधि में कंपनी का लॉस 575.26 करोड़ रुपये रहा था। वहीं दिसंबर 2017-18 की तिमाही यह 380.07 करोड़ रुपये के स्तर पर रहा था। पूरे वित्त वर्ष 2017-18 के लिए बैंक का घाटा 1923.15 करोड़ रुपये के स्तर पर रहा है।