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अर्थव्‍यवस्‍था को बचाने में RBI के नए एलान से सरकार को मिलेगा समर्थन

कोविड-19 से देश की अर्थव्‍यवस्‍था को बचाने के लिए आरबीआइ ने नए ऐलान किए हैं जिससे सरकार को समर्थन मिलेगा।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 17 Apr 2020 11:24 AM (IST)Updated: Fri, 17 Apr 2020 12:12 PM (IST)
अर्थव्‍यवस्‍था को बचाने में RBI के नए एलान से सरकार को मिलेगा समर्थन
अर्थव्‍यवस्‍था को बचाने में RBI के नए एलान से सरकार को मिलेगा समर्थन

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। कोविड-19 ने जिस तरह से देश की इकोनोमी के सामने चुनौतियां पेश की हैं उससे लड़ने में सरकार की कोशिशों को आरबीआइ भी पूरा समर्थन कर रहा है। तीन हफ्ते पहले 27 मार्च, 2020 को समय से पहले मौद्रिक नीति पेश कर सिस्टम में फंड की पर्याप्त उपलब्धता बढ़ाने के ऐलान के बाद शुक्रवार को आरबीआइ एक बार फिर सामने आया और उद्योग जगत व वित्तीय संस्थानों में भरोसा जताने के लिए कई उपायों का ऐलान किया है। आरबीआइ ने मुख्य तौर पर दो उपायों के जरिए सीधे तौर पर सिस्टम में एक लाख करोड़ रुपये का फंड उपलब्ध कराने का इंतजाम किया है। साथ ही मौजूदा संकट से राहत देने के लिए वित्तीय संस्थानों के लिए नियमों को भी आसान बनाया है। आरबीआइ गर्वनर डॉ. शक्तिकांत दास ने यह भी भरोसा दिलाया कि केंद्रीय बैंक पूरे हालात पर नजर रखे हुए है और आगे भी जरुरत के हिसाब से कदम उठाया जाएगा।

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बड़े वित्‍तीय संस्‍थानों को आरबीआइ की मदद

आरबीआइ ने देश के तीन बड़े वित्तीय संस्थानों नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी), नाबार्ड और सिडबी के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त संसाधन जुटाने की व्यवस्था की है। इसमें से 25 हजार करोड़ रुपये की राशि नाबार्ड को उपलब्ध कराई जाएगी। नाबार्ड इस राशि से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक व ग्रामीण क्षेत्रों में फंड उपलब्ध कराने वाले दूसरे वित्तीय संस्थानों को ज्यादा कर्ज देगा। जबकि 15 हजार करोड़ रुपये की राशि सिडबी को दिय गया है। सिडबी देश के मझोले व छोटे उद्यिमयों को कर्ज वितरित करने में अहम भूमिका निभाती है। 10 हजार करोड़ रुपये एनएचबी दिया गया है जो इस राशि को आवासीय सेक्टर में पुनर्वित की सुविधा देने में इस्तेमाल करेगा। आरबीआइ गवर्नर का कहना है कि यह संसाधन कोविड-19 से समस्या ग्रस्त एक बड़े औद्योगिक सेक्टर की वित्तीय दिक्कतों को दूर करेगा।

मझोले व छोटे उद्यमों को वरीयता

आरबीआइ ने लांग टर्म रेपो आपरेशन (एलटीआरओ) के दूसरे चरण का ऐलान करते हुए 50 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम अलग से करने का इंतजाम किया है। एलटीआरओ संस्थानों को अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने का एक जरिया है जिसके तहत बैंकों को एक से तीन वर्ष की अवधि के लिए रेपो रेट पर फंड उपलब्ध कराया जाता है। यह व्यवस्था पिछले कुछ हफ्तों से की जा रही है लेकिन आरबीआइ का कहना है कि इस फंड का ज्यादातर इस्तेमाल सरकारी बैंक या बड़े कारपोरेट घराने कर रहें है। शुक्रवार को जो घोषणा की गई है वह मझोले व छोटे उद्यमों को वरीयता देने को लेकर है। सनद रहे कि छोटे व मझोले उद्योगों को कोविड-19 के पहले से ही आसानी से ऋण मिलने में दिक्कत हो रही थी। कोविड-19 महामारी के बाद यह समस्या और बढ़ गई है। उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक की घोषणा से हालात बदलेंगे।

आरबीआइ ने वाणिज्यिक बैंकों के लिए एक राहत का भी ऐलान किया है। इन बैंकों पर वित्त वर्ष की समाप्ति पर अपने मुनाफे से लाभांश देने का भारी दबाव रहता था। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि मार्च, 2020 में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान जो मुनाफा होगा उससे अतिरक्त लाभांश अदाएगी की जरुरत नहीं है। इस बारे में जो नियम है उसकी समीक्षा 30 सितंबर, 2020 के बाद की जाएगी। बैंक ज्यादा कर्ज बांट सके इस उद्देश्य से रिवर्स रेपो रेट पर देय ब्याज की दर को 4 फीसद से घटा कर 3.75 फीसद कर दिया है।


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