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RBI की MPC की बैठक शुरू, क्या ब्याज दरों में और कमी की है गुंजाइश, विशेषज्ञों से जानिए

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक सोमवार को शुरू हो गई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हो रही यह बैठक तीन दिन तक चलेगी। इस बैठक में केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा की जाएगी।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 06:55 PM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 06:30 AM (IST)
RBI की MPC की बैठक शुरू, क्या ब्याज दरों में और कमी की है गुंजाइश, विशेषज्ञों से जानिए
विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त वर्ष की पहली बैठक में आरबीआई नीतिगत दरों में बदलाव नहीं करेगा।

मुंबई, पीटीआइ। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक सोमवार को शुरू हो गई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हो रही यह बैठक तीन दिन तक चलेगी। इस बैठक में केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा की जाएगी। यह बैठक ऐसे समय में आयोजित हो रही है जब देश में कोविड-19 के मामलों में अचानक भारी वृद्धि देखने को मिली है। साथ ही हाल में केंद्र सरकार ने आरबीआई को एक बार फिर अगले पांच साल तक मुद्रास्फीति को 2-6 फीसद के बीच सीमित रखने को कहा है। MPC के फैसले का ऐलान आरबीआई द्वारा सात अप्रैल को किया जाएगा। 

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विशेषज्ञों का मानना है कि नए वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक बैठक में आरबीआई नीतिगत दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगा। इस बात का भी अनुमान जताया जा रहा है कि आरबीआई मौद्रिक रुख को उदार बनाए रख सकता है।  

अमेरिका की ब्रोकरेज कंपनी Bofa Securities के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि केंद्रीय बैंक कीमतों में स्थिरता, ग्रोथ और वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखकर आने वाले समय के लिए फैसला करेगा। उसने कहा, ''RBI MPC बुधवार को एक बार नीतिगत दरों को यथावत रखेगी।'' 

Brickworks Ratings की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ''कोरोनावायरस के मामलों में वृद्धि और देश के बड़े हिस्से में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए नए सिरे से पाबंदियां लगाए जाने की वजह से RBI मौद्रिक नीति समिति की अपनी आगामी बैठक में नीतिगत रुख को उदार बनाए रख सकती है।'' 

रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों को यथावत बनाए रखेगा।  

केयर रेटिंग्स ने कहा है कि इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने वाले कदमों, मुद्रास्फीति को काबू में करने और अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए नीतिगत दर तय किए जाएंगे।  

हाल में बॉन्ड से होने वाली आमदनी में वृद्धि से सरकार और इस तरह का बिजनेस करने वालों के फंड्स की लागत बढ़ी है। 


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