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RBI MPC Meeting: महंगाई का डर हावी, ब्याज दर घटने के आसार नहीं, RBI गवर्नर आज पेश करेंगे मौद्रिक नीति की समीक्षा

RBI MPC Meeting पिछले चार महीनों की दो मौद्रिक समीक्षाओं में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन यह आश्वासन जरूर दिया कि इस पर आगे फैसला हो सकेगा।

By Ankit KumarEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 07:53 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 07:44 AM (IST)
RBI MPC Meeting: महंगाई का डर हावी, ब्याज दर घटने के आसार नहीं, RBI गवर्नर आज पेश करेंगे मौद्रिक नीति की समीक्षा
सालाना विकास दर के नए आंकड़े और महंगाई दर का नया लक्ष्य तय होने की उम्मीद है। (PC: PTI)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पिछले चार महीनों की दो मौद्रिक समीक्षाओं में आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन यह आश्वासन जरूर दिया कि इस पर आगे फैसला हो सकेगा। लेकिन शुक्रवार को जब वह मौद्रिक नीति की समीक्षा का ऐलान करेंगे तो इस बार भी ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम ही है। कोविड काल में घरेलू मांग पर भारी असर पड़ने के बावजूद खुदरा महंगाई की दर के सात फीसद के आस पास बने रहने की वजह से ब्याज दरों को लेकर आरबीआइ गवर्नर की तरफ से ज्यादा सतर्कता बरते जाने की संभावना जताई जा रही है। चालू वित्त वर्ष के दौरान दूसरी तिमाही के आर्थिक आंकड़ों के मद्देनजर आरबीआई गवर्नर पूरे साल के लिए आर्थिक विकास दर को लेकर भी केंद्रीय बैंक की सोच सामने रखेंगे।

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आरबीआइ गवर्नर डॉ. दास की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समीक्षा समिति की बैठक 2 दिसंबर से ही चालू है और तीन दिनों की बैठक के बाद इसमें लिए गए फैसलों का ऐलान 4 दिसंबर को किया जाएगा। जानकारों के मुताबिक महंगाई दर के अलावा बैंकिंग व्यवस्था में आवश्यकता से ज्यादा तरलता की उपलब्धता भी एक अन्य कारण है जिसकी वजह से ब्याज दरों को नीचे लाने का फैसला नहीं किया जा सकता।

एमके ग्लोबल फाइनेंशिएल सर्विसेज की गुरुवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक ''खुदरा महंगाई की दर 7 फीसद से ज्यादा है लेकिन आरबीआइ को बाजार में उपलब्ध छह लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि को लेकर भी फैसला करना होगा। बैंक ज्यादा तरलता होने की वजह से अल्पावधि के लिए रेपो रेट (जिस दर पर बैंक अतिरिक्त राशि कुछ घंटों या कुछ दिनों के लिए दूसरे बैंकों या आरबीआइ के पास रखते हैं) से भी एक फीसद कम दर पर अपनी नकदी दूसरे बैंकों में नकदी रख रहे हैं।''

यह स्थिति कारपोरेट व अन्य बैंकिंग कर्ज की रफ्तार कम होने की वजह से पैदा हुई है। केंद्रीय बैंक ने बैंकों के पास ज्यादा तरलता इसलिए उपलब्ध कराने की व्यवस्था की ताकि वह ज्यादा से ज्यादा कर्ज दे सकें। लेकिन बाजार में इतनी मांग नहीं है। देखना होगा कि आरबीआइ इस अतिरिक्त पूंजी को बाजार से लेने के लिए क्या तकनीकी कदम उठाता है।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर का स्तर 4 फीसद तय किया हुआ है लेकिन पिछले कुछ महीनों से यह 7 फीसद के करीब है। इसके लिए खाद्य उत्पादों की कीमतें सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं जिनकी आवक कोविड-19 की वजह से प्रभावित हो रही हैं। अर्थव्यवस्था पर यस बैंक की रिपोर्ट कहती है कि आरबीआइ महंगाई दर के नए लक्ष्य तय कर सकती है।

एसोचैम का कहना है कि, ''भले ही ब्याज दरों में कटौती करने का कदम केंद्रीय बैंक नहीं उठाये लेकिन वह इस बात की व्यवस्था निश्चित तौर पर करेगा कि कोविड के बाद भी उद्योग जगत को सस्ती दरों पर कर्ज उपलब्ध होता रहे। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और मझोले व लघु उद्योगों को आसानी से नकदी उपलब्ध कराने की नीति भी जारी रहने की उम्मीद है।'' 


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