RBI Monetary Policy Meeting: महंगाई पर काबू पाने की एक और कवायद, आरबीआइ की मौद्रिक समिति आज से करेगी मंथन
RBI Monetary Policy Meeting आरबीआइ की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज से शुरू हो रही है। महंगाई के लगातार ऊंचे स्तर पर बने रहने के कारण यह अनुमान लगाया जा रहा है कि केंद्रीय बैंक एक बार फिर से दरों में बढ़ोतरी कर सकता है।
मुंबई, बिजनेस डेस्क। ऊंची मुद्रास्फीति और अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर के लगातार मजबूत होने के कारण रुपये पर दबाव के बीच आरबीआइ की मौद्रिक समिति की बैठक आज से शुरू हो रही है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन चलने वाली इस बैठक में कई अहम फैसले होने की उम्मीद है। आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी की बैठक 28-30 सितंबर के दौरान होनी है। बैठक के नतीजों की घोषणा 30 सितंबर को की जाएगी।
28-30 सितंबर के दौरान होने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक पर बाजार की भी नजरें टिकी हुई हैं। बता दें कि महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में रेपो रेट में 140 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है। यूएस फेड द्वारा दरों में वृद्धि और मुद्रास्फीति के सात फीसद से ऊपर बने रहने के चलते माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक प्रमुख नीतिगत दरों में एक बार फिर से वृद्धि कर सकता है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मई में रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट, जून में 50 बेसिस प्वाइंट और अगस्त में 50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया है। इसे देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि एमपीसी मौद्रिक नीति समीक्षा में दरों को फिर से बढ़ा सकती है।
फिर से रेपो रेट बढ़ा सकता है आरबीआइ
माना जा रहा है कि आरबीआइ दरों में फिर से 50-बीपीएस की बढ़ोतरी कर सकता है। अगर यह वृद्धि हुई तो ब्याज दरें तीन साल के उच्च स्तर 5.9 प्रतिशत पर पहुंच जाएंगी। वर्तमान दर 5.4 प्रतिशत है। खुदरा मुद्रास्फीति पर आधारित उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई), जिसने मई में नरमी के संकेत दिखाना शुरू किया था, अगस्त में फिर से 7 फीसदी तक मजबूत हुई है। आरबीआइ अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति तैयार करते समय खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। यूएस फेड ने लगातार तीसरी बार दरों में बढ़ोतरी की है। ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के केंद्रीय बैंकों ने भी मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए दरों में बढ़ोतरी की है। सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि खुदरा मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत पर बनी रहे।
मौद्रिक नीति में बदलाव का आम आदमी पर क्या होगा असर
बैंक अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट (Repo Rate) कहते हैं। जब रेपो रेट कम होगी तो बैंकों को कम ब्याज दर पर कर्ज मिलता है और वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज देते हैं। लेकिन इसके उलट अगर यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करता है तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और इसे वे अपने ग्राहकों को महंगा कर्ज देंगे।
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