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महंगाई से चिंतित RBI, रेपो रेट में किया 25 बेसिस प्वाइंट का इजाफा

आरबीआई ने एक बार फिर से नीतिगत ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 01 Aug 2018 12:59 PM (IST)Updated: Thu, 02 Aug 2018 07:33 AM (IST)
महंगाई से चिंतित RBI, रेपो रेट में किया 25 बेसिस प्वाइंट का इजाफा
महंगाई से चिंतित RBI, रेपो रेट में किया 25 बेसिस प्वाइंट का इजाफा

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में बढ़ती महंगाई का असर साफ तौर पर देखा गया। आरबीआई ने लगातार दूसरी बार नीतिगत दरों में इजाफा किया है। केंद्रीय बैंक ने अब रेपो रेट को 6.25 फीसद से बढ़ाकर 6.50 फीसद और रिवर्स रेपो को 6 फीसद से बढ़ाकर 6.25 फीसद कर दिया है। आरबीआई की अगली बैठक 3 से 5 अक्टूबर को होगी। इस बैठक में नीतिगत दरों बढ़ाने का फैसला 5:1 के आधार पर लिया गया है। सिर्फ रवींद्र एच ढोलकिया ने नीतिगत दरों में इजाफे के खिलाफ मतदान किया। जानकारी के लिए आपको बता दें कि रेपो रेट के बढ़ने का मतलब बैंक से मिलने वाले लोन का महंगा होना माना जाता है।

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गौरतलब है कि आरबीआई ने अपनी पिछली समीक्षा बैठक में रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसद का इजाफा किया था। यानी बीती दो बैठकों में आरबीआई ने नीतिगत दरों में कुल 0.50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर दिया है।

महंगाई दर पर आरबीआई: आरबीआई ने जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए 4.2 फीसद की दर से महंगाई का अनुमान लगाया है। वहीं अक्टूबर-मार्च छमाही के दौरान इसके 4.8 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया है।

ग्रोथ को लेकर आरबीआई आश्वस्त: हालांकि ग्रोथ को लेकर आरबीआई आश्वस्त नजर आ रही है। उसने FY19 के लिए जीडीपी ग्रोथ के 7.4 फीसद रहने का अनुमान लगाया है, वहीं अप्रैल-सितंबर की छमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ के 7.5 से 7.6 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई का मानना है कि एफआईआई ने हाल फिलहाल में बेहतर निवेश किया है और डोमेस्टिक फंडामेंटल भी काफी मजबूत नजर आ रहे हैं।

आरबीआई ने आखिर क्यों बढ़ाईं ब्याज दरें?

आरबीआई की ओर से नीतिगत दरों में एक बार फिर से इजाफे की पर्याप्त वजहें बताई जा रही हैं। जैसे कि बढ़ती महंगाई, एमएसपी, मानसून, बढ़ा हुआ एचआरए जिसकी सिफारिश 7वें वेतन आयोग में की गई थी। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने बताया कि ग्लोबल हालात चिंता का विषय हैं, कई क्षेत्रों में महंगाई बढ़ी है, ट्रेड वार से निर्यात पर असर पड़ना संभव है और डॉलर की मजबूती से कैपिटल फ्लो में कमी आई है। आरबीआई का मानना है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें चिंता का विषय हैं। 


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