RBI अगले वित्त वर्ष में दे सकता है सस्ते कर्ज की सौगात, 1.75 फीसद तक घटा सकता है नीतिगत दरें
देश के विभिन्न हिस्सों से 10 नए मामलों के सामने आने के बाद बुधवार को भारत में कोरोनावायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 147 हो गई है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोनोवायरस के प्रकोप से आर्थिक मोर्चे पर निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के दौरान ब्याज दरों में 175 आधार अंकों की कटौती कर सकता है। फिच सॉल्यूशंस ने बुधवार को ऐसे उम्मीद जताई। इसने भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि को चालू वित्त वर्ष में 4.9% से 2020-21 में 5.4 फीसद तक ले जाने का अनुमान जताया है।
फिच सॉल्यूशंस ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई अपने प्रमुख नीतिगत दरों में पहले की 40 आधार अंकों की कटौती की तुलना में 2020/21 (अप्रैल-मार्च) में 175 आधार अंकों की कटौती करेगा। इससे पॉलिसी पुनर्खरीद (रेपो) की दर क्रमशः 3.40 फीसद और 3.00 फीसद होगी, जो मौजूदा समय में 5.15 फीसद और 4.75 फीसद है।
फिच सॉल्यूशंस के मुताबिक, तेल की कीमतें गिरने से आने वाले महीनों में महंगाई से बहुत हद तक निजात मिल सकती है, साथ ही फरवरी महीने से रबी फसल की पैदावार आने से खाद्य आपूर्ति में सुधार होगा जिससे खाद्य महंगाई को कम करने में मदद मिलेगी।
फिच सॉल्यूशंस ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि आरबीआई पहली बार बहुत हद तक महंगाई को कम करने में सफल होगा। यह देखा गया है कि उच्च महंगाई ने पहले अन्य प्रमुख वैश्विक केंद्रीय बैंकों के साथ अपनी ब्याज दरों को कम करने की क्षमता को सीमित कर दिया है।' इस बीच कोरोनावायरस से जुड़ी दुनिया भर में मौतों की संख्या लगभग 8,000 तक पहुंच गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश के विभिन्न हिस्सों से 10 नए मामलों के सामने आने के बाद बुधवार को भारत में कोरोनावायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 147 हो गई है।
फिच सॉल्यूशंस ने कहा कि भारत में कोरोनोवायरस के मामलों की संख्या बढ़ने की संभावना है, क्योंकि शहरों में उच्च जनसंख्या घनत्व और विशेष रूप से इसकी बड़ी ग्रामीण आबादी की वजह से स्वास्थ्य देखभाल पहुंच में देरी से यह बढ़ सकता है।
फिच सॉल्यूशंस ने भारत के महंगाई के अनुमान को संशोधित करते हुए 2020-21 के वित्तीय वर्ष में औसतन 3 फीसद का अनुमान लगाया जो पिछले अनुमान की तुलना में 3.5 फीसद था।